ज्ञान की ज्योति से चमकी तकदीर
बोकारो: विलुप्त होने के कगार पर खड़ी आदिम जनजाति के बच्चों का भविष्य संवारने मुहिम बीएसएल ( बोकारो स्
बोकारो: विलुप्त होने के कगार पर खड़ी आदिम जनजाति के बच्चों का भविष्य संवारने मुहिम बीएसएल ( बोकारो स्टील लिमिटेड) ने शुरू की। शिक्षा ही इसके लिए मुख्य राह हो सकती है। इसलिए सरकारी-गैरसरकारी स्तर पर इस दिशा में सकारात्मक प्रयास किया जा रहा है। वैसे भी जंगलों में रहने वाले आदिम जनजाति बिरहोर समाज में शिक्षा की महत्ता को खास तरजीह नहीं दी जाती है। वे जंगलों में पारंपरिक रूप से जीवनयापन कर रहे हैं। आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने के लिए झारखंड सरकार ने पहल की है। इसी पहल पर बीएसएल की ज्ञान ज्योति योजना से बिरहोर नौनिहालों की तकदीर चमकाई जा रही है।
---------------------
क्या है योजना
राज्य सरकार की पहल पर बीएसएल प्रबंधन ने 2001 में ज्ञान ज्योति योजना को धरातल पर उतारा। इसके तहत बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के 15 बिरहोर बच्चों को गोद लिया गया था। बोकारो इस्पात नगर के ट्रेनीज हॉस्टल सेक्टर तीन में इनके लिए निश्शुल्क शिक्षा, भोजन, चिकित्सकीय सुविधा व आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई गई। इनकी देखरेख के लिए बीएसएलकर्मी बहादुर ¨सह यादव को नियुक्त किया गया। शुरुआत में जंगली इलाके से शहर में आए बच्चों को यहां रखने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा। लेकिन धीरे-धीरे इन्हें बोकारो रास आने लगा। नौ बिरहोर बच्चों ने प्लस टू उच्च विद्यालय दो डी से 2010 में मैट्रिक और 2012 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। ऐसी उपलब्धि हासिल करनेवाले ये इस जनजाति के पहले नौ बच्चे थे। इसके बाद इन्होंने आइटीआइ किया।
-----------------
राज्य की रक्षा करेंगे युवा
बोकारो में पढ़लिख भी बिरहोर युवाओं को नियोजन नहीं मिला तो उन्होंने उपायुक्त कार्यालय में आवेदन दिया। उपायुक्त कार्यालय में इनके नियोजन की अनुशंसा की गई। इसके बावजूद इन्हें नियोजन नहीं मिला। एक बार फिर वे जीवनयापन के लिए जंगल की खाक छानने लगे। इसी बीच विशिष्ट इंडिया रिजर्व बटालियन के लिए बहाली के लिए आवेदन मांगा गया। इसमें बिरहोर युवाओं ने भी भाग लिया। इनमें तुलबुल गांव के तोगो लाल बिरहोर, गणेश बिरहोर व संतोष बिरहोर को सफलता मिली। बीएसएल के अधिशासी निदेशक ने इन युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें बधाई दी।