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100 डायल करते चंद मिनट में पहुंचेगी पुलिस

बोकारो : जिला पुलिस को तकनीकी रूप से दक्ष करने में जुटे पुलिस कप्तान वाईएस रमेश ने इस दिशा में आधुनि

By Edited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 01:00 AM (IST)
100 डायल करते चंद मिनट में पहुंचेगी पुलिस

बोकारो : जिला पुलिस को तकनीकी रूप से दक्ष करने में जुटे पुलिस कप्तान वाईएस रमेश ने इस दिशा में आधुनिक पुलिस कंट्रोल रूम के रूप में एक और कदम बढ़ाया है। आधुनिक सुविधाओं से लैस पुलिस का कंट्रोल रूम जल्द काम करने लगेगा। एसपी ने अपनी तकनीकी टीम को 10 दिसंबर तक अधूरे कंट्रोल रूम के काम को हर हाल में पूरा करने का आदेश दिया है।

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तुरंत मिलेगी मदद : तकनीकी टीम में शामिल अभियंता तुलसी कुमार, हसनैन आदि कार्य को पूरा करने में जुट गए हैं। आधुनिक कंट्रोल रूम के शुरू होते ही मुसीबत में फंसे लोगों के 100 नंबर डायल करते चंद मिनट में पुलिस पहुंच जाएगी। मदद मांगनेवालों को अपना लोकेशन और नाम-पता बताने की जरूरत नहीं पड़ेगी। गश्त लगा रही पीसीआर वैन से भी यह नहीं पूछा जाएगा कि वह अभी कहां पर है। इस वैन को जीपीएस सिस्टम एवं टैब से लैस किया जाएगा। इसके लिए जिले के चप्पे-चप्पे का मुआयना कर एक पुख्ता योजना बनाई गई है।

ऐसे काम करेगा कंट्रोल रूम : पुलिस कंट्रोल रूम में आइपी फोन लगाया जा रहा है। जिले के किसी कोने से 100 नंबर डॉयल करने पर रांची मुख्यालय में बने आधुनिक कंट्रोल रूम में कॉल जाएगी। वहां से खुद-ब-खुद फोन को कंप्यूटर सिस्टम संबंधित जिले के कंट्रोल रूम को ट्रांसफर कर देगा। जिले के कंट्रोल रूम में बैठा पुलिसकर्मी फोन रिसीव करेगा। कंट्रोल रूम की स्क्रीन पर फोन करनेवाले के नाम-पता के साथ यह भी दिखने लगेगा कि वह कहां मौजूद है।

इससे फोन करनेवाले को अपना नाम-पता और लोकेशन बताने की जरूरत नहीं पड़ेगी। घटनास्थल या मदद मांगने वालों के नजदीक गश्त लगा रही पीसीआर वैन को भी कंट्रोल रूम से तुरंत वहां पहुंचने का आदेश मिलेगा। हाइवे पर हादसे का शिकार होनेवाले घायलों को भी तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा। पीसीआर में लगे जीपीएस सिस्टम से कंट्रोल रूम को वाहन का लोकेशन मिलता रहेगा तो टैब पर मदद मांगनेवाले का लोकेशन और नाम-पता मोबाइल नंबर कंट्रोल रूम तुरंत भेजेगा। कंट्रोल रूम का फोन कभी इंगेज नहीं मिलेगा।

वर्तमान सिस्टम में खामी : अभी कोई 100 नंबर डायल कर पुलिस की सहायता मांगता है तो उसे कभी-कभी फोन इंगेज मिलता है। फोन करनेवाले को पहले अपना पता और जगह भी बतानी पड़ती है। अगर शहर या जिले के लिए कोई नया आदमी है और उसे घटनास्थल के नाम की सही जानकारी नहीं है तो पुलिस की मदद मिलने में बिलंब होना स्वाभाविक है। कभी-कभी ऐसे लोग अपना लोकेशन गलत बता देते हैं। पुलिस गश्ती वाहन का चालक भी कभी-कभी अपना लोकेशन गलत बताता है। इन सभी कमियों को आधुनिक कंट्रोल रूम का सिस्टम दूर कर देगा।

''इस माह की 10 तारीख तक अधूरे कंट्रोल रूम का कार्य हर हाल में पूरा करने का आदेश दिया गया है। अधूरा काम समाप्त होते ही संभावना है कि 15 दिसंबर या उसके तुरंत बाद आधुनिक कंट्रोल रूम काम करने लगेगा।

- वाईएस रमेश, एसपी, बोकारो


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