अडाणी के प्लांट की अड़चन हो सकती दूर
बेरमो (बोकारो) : झारखंड में अडाणी समूह के पावर प्लांट लगाने की अड़चन बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल की
बेरमो (बोकारो) : झारखंड में अडाणी समूह के पावर प्लांट लगाने की अड़चन बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल की दामोदर नदी रेल विपथन परियोजना (डीआर एंड आरडी) से दूर हो सकती है। राज्य सरकार से करार के मुताबिक अडाणी समूह की सूबे में 1600 मेगावाट विद्युत उत्पादक क्षमता का पावर प्लांट लगाने की योजना है, जिससे उत्पादित 75 फीसद बिजली बांग्लादेश को भेजी जाएगी और 25 प्रतिशत यानी 400 मेगावाट बिजली झारखंड राज्य को मिलेगी।
ऐसा होने से बिजली की कमी का दंश झेल रहे झारखंड को काफी हद तक राहत मिलेगी, लेकिन प्लांट लगाने के लिए अडाणी समूह ने राज्य सरकार के समक्ष प्रतिवर्ष 45 मिलियन टन का कोल लिंकेज दिलाने की शर्त रख दी है। इस कारण पशोपेश में पड़ी सरकार यदि सीसीएल की डीआर एंड आरडी परियोजना को चालू कराने पर जोर दे तो इस समस्या का हल आसानी से निकल सकता है।
सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के चालू होने से 1415 मिलियन टन प्राइम को¨कग कोल मिल जाएगा। इस प्रकार अडाणी के पावर प्लांट को प्रतिवर्ष 45 मिलियन टन खपत के अनुरूप सिर्फ इसी परियोजना से कम से कम निरंतर 35 वर्ष तक कोयले की आपूर्ति की जा सकती है।
34 साल से अधर में लटकी परियोजना : डीआर एंड आरडी परियोजना के तहत भूगर्भ में पड़े 1415 मिलियन टन प्राइम को¨कग कोल निकासी की योजना पिछले 34 वर्ष से विभिन्न अड़चनों के कारण अधर में लटकी हुई है। वर्ष 1982 में शुरू की गई इस परियोजना के लिए अधिगृहीत भूमि के एवज में नियोजित विस्थापित अब रिटायरमेंट की अवस्था में हैं।
जरीडीह बस्ती, चलकरी और घुटियाटांड़ की हजारों हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण कर दामोदर नदी एवं गोमो-बरकाकाना रेलमार्ग का स्थान परिवर्तित करने की योजना थी। उस समय 200 करोड़ बजट की यह योजना अधर में लटकने के कारण वर्तमान समय में बढ़कर कई अरब रुपये तक पहुंच गई है।
नदी की जलधारा व रेललाइन मोड़ने की योजना : इस परियोजना से भूगर्भ में पड़े बेशकीमती प्राइम को¨कग कोल के भंडार को निकालने के लिए गोमो-बरकाकाना रेलखंड की बेरमो स्थित रेललाइन को 3 हजार 355 मीटर मोड़ना था। फुसरो रेलवे स्टेशन से अमलो रेलवे हॉल्ट के समीप पुराना बीडीओ ऑफिस रेलवे फाटक की रेललाइन को मोड़कर घुटियाटांड़ बस्ती एवं जरीडीह बाजार होती हुई सीधे जारंगडीह स्टेशन के क्रा¨सग में मिलाना था।
जारंगडीह स्टेशन को स्थानांतरित कर जरीडीह बस्ती में और बेरमो स्टेशन को घुटियाटांड़ में स्थापित करना था। साथ ही दामोदर नदी की जलधारा को जरीडीह बस्ती के समीप खेतको से मोड़कर घुटियाटांड़ स्थित कदमाडीह के पास नदी में मिलाना था। करगली वाशरी, करगली फिल्टर प्लांट, रामविलास उच्च विद्यालय बेरमो सहित कई कॉलोनी के सीसीएल क्वार्टर को भी स्थानांतरित करना था।
पांच वर्ष बाद ही काम हुआ ठप : वर्ष 1982 में शुरू हुए इस परियोजना के प्रथम चरण का काम 1987 के अंत तक बंद हो गया। उस दौरान रेललाइन को मोड़ने के लिए टाटिया कंपनी को टेंडर दिया गया था। उस कंपनी ने घुटियाटांड़-चलकरी एवं चलकरी-जरीडीह बाजार के बीच दामोदर नदी पर पुल निर्माण करने सहित रेललाइन का शुरू किया था। करीब 60 फीसद से ऊपर काम हुआ, फिर ठप पड़ गया। वर्तमान में नदी पर बने अधूरे पुल की हालत काफी खराब हो चुकी है।
विस्थापितों के आंदोलन से लटकी परियोजना : इस परियोजना के लिए जमीन के एवज में कंपनी ने 1982 में 631 ग्रामीणों को नौकरी दी। सैकड़ों की संख्या में अन्य ग्रामीण विस्थापित होने का दावा करते हुए आज तक आंदोलनरत हैं। दूसरी ओर, जमीन से संबंधित विभिन्न पेंच और विवाद के कारण मुआवजा से संबंधित मामले भी उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं।
''सीसीएल की महत्वाकांक्षी डीआर एंड आरडी परियोजना को चालू कराने के लिए सरकार गंभीर है। इसकी पूरी रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों से मांगी गई है। जल्द ही चालू कराने की दिशा में पहल की जाएगी।
- पीयूष गोयल, केंद्रीय कोयला मंत्री, भारत सरकार