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तस्कर लूट रहे काले हीरे का खजाना

ललपनिया (बेरमो) : बेरमो कोयलांचल के गोमिया क्षेत्र में वर्षो से कई कोलियरियां बंद पड़ी हैं। यदि उन को

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 10:47 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 10:47 PM (IST)

ललपनिया (बेरमो) : बेरमो कोयलांचल के गोमिया क्षेत्र में वर्षो से कई कोलियरियां बंद पड़ी हैं। यदि उन कोलियरियों को चालू कर दिया जाए तो कोयले की कमी की समस्या झेल रहे देशभर के पावर प्लांट सहित अन्य उद्योगों को भरपूर मात्रा में कोयला मिलेगा ही, यहां के हजारों लोगों को रोजगार भी प्राप्त होगा। बंद कोलियरियों के अलावा यहां के विभिन्न स्थानों पर भूगर्भ से कोयले का अवैध उत्खनन कराकर कई तस्कर मालामाल हो रहे हैं। साथ ही उन तस्करों से प्राप्त लेवी से यहां की जमीन पर उग्रवाद की पौध को भी खाद-पानी मिल रहा है।

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पलायन करने की विवशता : बंद कोलियरियों और भूगर्भ में पड़े कोयले के अकूत भंडार के बावजूद ग्रामीण बहुल गोमिया प्रखंड में ¨सचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण ढंग की खेती भी नहीं हो पाती। यही कारण है कि यहां के युवा अन्य प्रदेश पलायन करने को मजबूर हैं। यहां के करीब 20 हजार लोग रोजगार की तलाश में पलायन कर चुके हैं। उनमें लगभग 4 दर्जन लोग विगत 5 वर्ष के दौरान अपनों से दूर रहते हुए मौत के मुंह में समा गए।

उग्रवाद व तस्करी को बढ़ावा : गोमिया प्रखंड में करीब 20 वर्ष पूर्व जगेश्वर कोलियरी एवं जय मां संतोषी खदान के अलावा सीसीएल की पिपराडीह कोलियरी संचालित थी। उन कोलियरियों में हजारों ग्रामीण रोजगार से जुड़े थे। उससे सरकार को अच्छा-खासा राजस्व मिलता था। उन कोलियरियों के बंद होने के बाद जहां इस क्षेत्र में बेरोजगारी एवं तंगहाली बढ़ी, वहीं उग्रवाद एवं तस्करी को भी बढ़ावा मिला।

कोयले का विशाल भंडार : उन बंद कोलियरियों के अलावा महुआटांड़ एवं साड़म परियोजना खुलते-खुलते बंद हो गई। उसके भूगर्भ में कोयले का विशाल भंडार मौजूद है। केंद्र सरकार ने गोमिया प्रखंड के पचमो, तेनुघाट (कथारा), जगेश्वर एवं लालगढ़ स्थित कोल ब्लॉक विभिन्न कंपनियों को आवंटित किया था, जिसका काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया। पिपराडीह कोलियरी को चालू करने के लिए कई बार सर्वे भी किया गया, लेकिन स्थिति अब तक यथावत है।


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