छेड़खानी पर सख्ती बरतने का आदेश
बोकारो : डीजीपी आपके द्वार कार्यक्रम में छात्राओं के साथ छेड़खानी का मामला उठा। रणविजय महिला कॉलेज की प्राचार्या सह महिला कोषांग की सदस्य श्रीमती परिंदा सिंह ने डीजीपी से कहा कि स्कूल-कॉलेज के समय छात्राओं से होने वाली छेड़खानी को रोकने के लिए पुलिस को सख्त कदम उठाना चाहिए।
डीजीपी ने आदेश दिया कि पुलिस ऐसा माहौल बनाए जिससे छात्राएं अपने को सुरक्षित समझें और निर्भीक होकर कॉलेज-स्कूल जाएं। टाइगर मोबाइल के जवानों को गश्ती करने का आदेश दिया जाए। कहा गया कि मोबाइल के जवान स्कूल-कॉलेज के समय पर नियमित गश्ती करें। छेड़खानी को रोकने के लिए समय बदलकर गश्ती की जाए। इससे छेड़खानी करनेवालों का मनोबल टूटेगा।
डीजीपी ने कहा कि एसपी अपने इलाके में कॉलेज-स्कूल के प्राचार्य के साथ बैठक करें। उनसे सुझाव लेकर पुलिस की गश्ती व्यवस्था करें। बता दें कि सुबह 11 बजे कार्यक्रम की शुरुआत हुई तो बोकारो जिले का नंबर शाम पांच बजे आया। इस दौरान कोयला क्षेत्र के डीआइजी देव बिहारी शर्मा, बोकारो एसपी जितेंद्र कुमार सिंह, मुख्यालय डीएसपी विनोद कुमार सिन्हा, सिटी डीएसपी सहदेव साव, गोमिया अंचल निरीक्षक शैलेंद्र कुमार सिंह समेत अन्य अफसर मौजूद थे। डीजीपी के अलावा एडीजी सीआइडी एसएन प्रधान एवं आइजी सीआइडी संपत मीणा राज्य मुख्यालय से जिलों की ऑनलाइन समस्याएं सुनीं।
महज चार केस से संबंधित लोग पहुंचे गुहार लगाने : डीजीपी आपके द्वार कार्यक्रम में महज चार मामलों के लोग अपनी फरियाद लेकर पहुंचे। शहर के तीन और बेरमो अनुमंडल का एक मामला इसी वर्ष दर्ज किया गया है। डीजीपी ने एक हफ्ते के अंदर कार्रवाई सुनिश्चित कराने का भरोसा दिया। इस कार्यक्रम की जानकारी आम लोगों तक नहीं पहुंच पाई। पुलिस अफसरों ने बताया कि महिलाओं से संबंधित जिले में हर वर्ष करीब तीन सौ मामले दर्ज होते हैं। फिर भी महज चार मामलों के फरियादी ही कार्यक्रम में पहुंच सके।
राज्य मुख्यालय से आइजी प्रोविजन अनुराग गुप्ता ने 20 अगस्त को ही हर जिलों में फैक्स भेजकर कार्यक्रम की जानकारी दे दी थी। अपने आदेश में आइजी गुप्ता ने कहा था कि कार्यक्रम में छेड़खानी, यौनशोषण, भेदभाव, महिलाओं की मानव तस्करी, घरेलू हिंसा, डायन प्रताड़ना, गुमशुदा बच्चे, विशाखा गाइडलाइन के उल्लंघन की समीक्षा होनी है। कार्यक्रम का व्यापक प्रचार-प्रसार कराने को कहा गया था। कहा गया था कि ऐसी कोई महिला या लड़की जो किसी प्रकार के अपराध या शोषण का शिकार हों या फिर किसी और मुद्दे पर डीजीपी से बात करना चाहती हों तो अपनी बात वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से रख सकती हैं। कार्यक्रम की जानकारी वैसे शिक्षण संस्थानों में देने को कहा गया था जहां महिलाएं हों। व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने की वजह से ही लोग नहीं आ सके।