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बियाडा प्रबंधन की कार्रवाई से हड़कंप

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 10:32 PM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 10:32 PM (IST)
बियाडा प्रबंधन की कार्रवाई से हड़कंप

बोकारो : बीते बीस वर्षो से बियाडा प्रबंधन के लापरवाह रवैये से डमी उद्यमियों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। अब जबकि जमीन की कमी और नया निवेश प्राप्त करने के लिए बियाडा प्रबंध निदेशक ने उन डमी उद्यमियों के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू की तो वे सकते में पड़ गए हैं।

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सूत्रों की मानें तो ऐसे उद्यमियों के कारण बियाडा औद्योगिक क्षेत्र का आधा इलाका अंधेरे में डूबा रहता है। यह अपरोक्ष रूप से उन विस्थापितों के साथ अन्याय है जिन्होंने अपनी जमीन आर्थिक गतिविधि को बढ़ाने के लिए दी। उनकी ही जमीन पर बने कारखानों में उन्हें मजदूरी भी नहीं मिल रही है। अब विस्थापित संगठन भी ऐसे उद्यमियों का विरोध करेंगे जो कारखाना संचालित नहीं कर रहे हैं।

लोहे की फैक्ट्री में चलता खटाल : बोकारो के विस्थापितों से जमीन का अधिग्रहण बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिए किया गया। उसी में से बियाडा को भी जमीन दी गई ताकि छोटे एवं मध्यम उद्योगों की स्थापना हो सके लेकिन डमी उद्यमियों ने बियाडा के औद्योगिक भूखंड पर आलीशान मकान और खटाल तक बना लिया। कुछ ने बियाडा की जमीन को बेच दिया तो कुछ ने लोहा-कोयला माफियाओं को अवैध धंधे के लिए भी दे दिया। इसका प्रमाण कई बार पुलिस की छापेमारी में भी मिल चुका है।

उद्योगों को रद करने का हो रहा विरोध : राज्य की उद्योग सचिव ने इस आशय का स्पष्ट निर्देश दिया है कि जो लोग उद्योग चलाने में सक्षम नहीं हैं या उद्योग विभाग की जमीन पर कोई गतिविधि नहीं कर रहे हैं, ऐसे आवंटन को तत्काल रद कर दिया जाए। इसी कड़ी में बियाडा के कई उद्योगों के आवंटन को रद करने की प्रक्रिया चल रही है। कुछ को नोटिस थमाई गई है और आनेवाले दिन में कुछ को रद किया जाएगा। बियाडा के पास फिलहाल जमीन नहीं है। यदि खाली पड़ी जमीन का आवंटन रद कर दिया जाए तो कम से कम एक सौ करोड़ से अधिक का पूंजी निवेश होगा और हजारों को रोजगार भी मिलेगा।

सक्रिय उद्यमियों के लिए तय मापदंड

- उद्योग में वैधानिक तौर पर बिजली व पानी का कनेक्शन हो।

- उद्योग का राज्य कर्मचारी बीमा निगम व श्रम विभाग में निबंधन के साथ ही नियमित रिटर्न जमा किया जाता हो।

- वाणिज्य-कर व आयकर का रिटर्न फाइल होता हो।

- बियाडा का शुल्क नियमित जमा होता हो।

- न्यूनतम मजदूरी का भुगतान होता हो।

- कर्मचारियों की ईएसआइ व भविष्यनिधि की कटौती होती हो।

- बाल श्रमिकों को काम पर नहीं लगाया गया हो।

- बियाडा से अनुमति प्राप्त उत्पाद का ही उत्पादन हो रहा हो।

- क्षमता के अनुसार रोजगार का सृजन हो रहा हो।


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