गुमराह बच्चों को पुकार रहा कश्मीर
लोग आतंकी बने अपने बच्चों से अब खुलकर घर लौटने की अपील करने लगे हैं। इससे उम्मीद बनी है कि कश्मीर में आतंकवाद जल्द ही समाप्त हो जाएगा।
श्रीनगर, [नवीन नवाज]। गुमराह होने के बाद फुटबॉल का मैदान छोड़ लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ने वाले माजिद इरशाद खान की सकुशल वापसी का असर आतंकी बने अपने बच्चों को तलाश रहे अन्य लोगों पर भी नजर आने लगा है। वह आतंकी फरमानों से बेखौफ होकर विभिन्न माध्यमों से उनसे लौटने की गुहार लगा रहे हैं। इसके अलावा कश्मीर में भी गुमराह हुए युवकों को लौटने के लिए सोशल मीडिया में अपीलें होने लगी हैं।
दक्षिण कश्मीर में आतंकवादी बने दो और युवकों के परिजनों ने उनसे वापस आने की गुहार लगाई है। साथ ही वे संबंधित प्रशासन से सहयोग का आग्रह कर रहे हैं। इनमें एक परिवार कापरिन-शोपियां के आशिक हुसैन बट का है और दूसरा परिवार द्रबगाम पुलवामा के मंजूर का। आशिक इस समय लश्कर का आतंकी है और उसका कोड अबु माज है।
28 वर्षीय आशिक हुसैन दस दिन पहले अपने बुजुर्ग मां-बाप और गर्भवती पत्नी को छोड़ आतंकी बना है। उसके पिता इसहाक ने कहा कि सबकुछ ठीक ही चल रहा था। बीते 12 साल से वह शोपियां में दुकान कर रहा था। कर्ज लेकर उसका कारोबार बढ़ाया गया। पिछले साल ही उसकी शादी की थी। पिछले वीरवार को वह घर से निकला फिर नहीं लौटा। उन्होंने कहा कि हमने बहुत तलाश किया। वह मिला तो सोशल मीडिया पर आतंकी के तौर पर। उसकी मां का बुरा हाल है। सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे उसकी पत्नी को देखकर होती है वह सदमे में है। आशिक की पत्नी बिस्माह ने कहा कि मेरी तो जिंदगी में अंधेरा ही अंधेरा है। जी करता है जहर खा लूं। पेट में पल रहे बच्चे का कत्ल अपने माथे नहीं लेना चाहती। मेरा न सही , कम से कम वह अपने इस होने वाले बच्चे की खातिर ही लौट आए। आप किसी तरह से मेरी यह मिन्नत उस तक पहुंचा दो।
आशिक के आतंकी बनने से हताश उसकी मां ने कहा कि मेरा बेटा वापस आना चाहिए। वह नहीं आया तो हम सभी मर जाएंगे। मेरे अल्लाह, मुझे मेरा बेटा वापस दे देता। अगर हमसे कोई खता हुई तो उसे माफ कर दो। जिला शोपियां के साथ सटे पुलवामा के द्रबगाम में मंजूर का परिवार उसे तलाश रहा है। उसकी बहन ने कहा कि वह पांच नवंबर को घर से गया था। वही हमारे घर का चिराग है। कोई उसे वापस लाने में हमारी मदद नहीं कर रहा है। मंजूर की मां ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि अगर किसी संगठन के साथ वह है तो उसे जल्द घर भेज दो। उसके जाने के बाद हम बेसहारा हो गए हैं। वह जहां भी हो उसे कहो बंदूक छोड़े और घर चला आए।
आइजीपी सीआरपीएफ जुल्फिकार हसन ने कहा कि माजिद इरशाद के घर आने के बाद बहुत से लोगों ने हमसे संपर्क कर कहा है कि आतंकी बने उनके बेटों को जिंदा पकड़ा जाए, उन्हें घर लौटने का मौका दिया जाए। हम यही चाहते हैं कि सभी लड़के बंदूक छोड़ घरों में आएं। मिजाद की वापसी का अच्छा असर हुआ है। लोग आतंकी बने अपने बच्चों से अब खुलकर घर लौटने की अपील करने लगे हैं। इससे उम्मीद बनी है कि कश्मीर में आतंकवाद जल्द ही समाप्त हो जाएगा।