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वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पवित्र छड़ी की स्थापना

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : ग्रीष्मकालीन राजधानी में गाजा पट्टी कहलाने वाले मैसूमा के मुहाने पर स्थित दश

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Jul 2017 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jul 2017 01:01 AM (IST)
वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पवित्र छड़ी की स्थापना

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : ग्रीष्मकालीन राजधानी में गाजा पट्टी कहलाने वाले मैसूमा के मुहाने पर स्थित दशनामी अखाड़ा में बुधवार को शंखनाद, हर-हर महादेव के जयघोष और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पवित्र छड़ी स्थापना के साथ ही पूरा वातावरण शिवमय हो गया। वीरवार को नागपंचमी की संध्या पर छड़ी मुबारक की पूजा होगी। उसके बाद श्रद्धालु पवित्र गुफा के लिए रवाना होने तक उसके दर्शन कर पुण्य प्राप्त कर सकेंगे।

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दशनामी अखाड़ा ही भगवान अमरेश्वर की पवित्र छड़ी मुबारक का विश्रामस्थल है। ज्ञात रहे छड़ी मुबारक दो होती हैं। इनमें से एक को शिव और दूसरे को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी ही छड़ी मुबारक के संरक्षक हैं और उनके नेतृत्व में ही छड़ी मुबारक पवित्र गुफा में प्रवेश करती है।

बुधवार सुबह दशनामी अखाड़ा स्थित शिवमंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच, धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक छड़ी स्थापना, ध्वजारोहण और भूमिपूजन के अनुष्ठान संपन्न हुए। लगभग अढ़ाई घंटे तक चले इस अनुष्ठान में बड़ी संख्या में संत-महात्माओं व देश-विदेश से आए श्रद्घालुओं ने भाग लिया।

छड़ी मुबारक के स्थापना अनुष्ठान के बाद महंत दीपेंद्र गिरी ने बताया कि 27 जुलाई को नागपंचमी के अवसर पर छड़ी पूजन होगा और उसे श्रद्घालुओं के दर्शनार्थ रखा जाएगा।

दिपेंद्र गिरी ने बताया कि दो अगस्त को छड़ी मुबारक दशनामी अखाड़ा से पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान करेगी। रास्ते में दुर्गानाग, सूर्येश्वर मंदिर, शिव मंदिर पांपोर, शिव मंदिर बीजबिहाड़ा, मार्तड तीर्थ मट्टन, लिद्दर दरिया के पार स्थित गणेशबल मंदिर में पूजा अर्चना में भाग लेते हुए पहलगाम स्थित गौरी शंकर मंदिर में पहुंचेगी। पहलगाम में विश्राम करने के बाद तीन अगस्त को द्वादशी की सुबह पहलगाम में पूजा अर्चना के बाद चंदनबाड़ी के लिए छड़ी मुबारक रवाना होगी। उन्होंने बताया कि छड़ी मुबारक पांच अगस्त त्रयोदशी को शेषनाग पहुंचेगी और रात्रि विश्राम के बाद अगली सुबह पंचतरणी पहुंचेगी। सात अगस्त को छड़ी मुबारक पवित्र गुफा में प्रवेश करेगी और बाबा अमरनाथ की पूजा अर्चना करने के बाद वापसी की यात्रा शुरू करेगी।


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