शिक्षा व साहित्य की शख्सियतों की विरासत का होगा संरक्षण
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में शिक्षा और साहित्य में उल्लेखनीय योगदान देने वाली शख्सियतों की विर
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में शिक्षा और साहित्य में उल्लेखनीय योगदान देने वाली शख्सियतों की विरासत बचाने के लिए विरासत संरक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है।
इसके तहत स्कूल शिक्षा विभाग जाने माने इस्लामिक विद्वान मौलाना अनवर शाह कश्मीरी (1875-1933) के लोलाब स्थित 150 साल पुराने लकड़ी से बने मकान के अलावा डाउन-टाउन फतेहकदल में आशाई कूचा स्थित 19वीं सदी की इमारत के संरक्षण और जीर्णाेद्घार का फैसला किया है। शिक्षा मंत्री मुहम्मद अल्ताफ बुखारी ने अधिकारियों के साथ बैठक में दोनों ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण की योजना को अंतिम रूप दिया।
बैठक में मौलाना अनवर शाह कश्मीरी के पौत्र फारूक अहमद, प्रसिद्ध संरक्षणवादी वास्तुविद गुरमीत राय, एनआइटी श्रीनगर में सिविल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष प्रो. जावेद अहमद भट्ट व आइआइटी चेन्नई के पीएचडी स्कॉलर धडापानी भी मौजूद थे।
कश्मीर के साहित्य में स्वर्गीय अलामा कश्मीरी की भूमिका पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा व समाज सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान को लंबे समय तक याद रखा जाएगा। उन्होंने पूरे देश में कई जगह अपनी सेवाएं देने के अलावा दारुल उलूम देवबंद में भी काफी समय तक पढ़ाया।
मंत्री को जानकारी दी गई कि अनवराबाद-लोलाब में स्व. अलामा का लकड़ी से बना तिमंजिला घर है। वर्षो से यह मकान खाली पड़ा है, लेकिन पर्याप्त रखरखाव नहीं होने से यह दयनीय स्थिति में है। इसका यथाशीघ्र संरक्षण अनिवार्य है अन्यथा यह मिट जाएगा।
मंत्री ने बताया कि आशाई कूचा स्थित 19वीं सदी की इमारत में आजकल लड़कियों का एक स्कूल है। गुलाम अहमद आशाई से जुड़ी है। वह अपने समय के जाने माने शिक्षाविद्, नौकरशाह, लेखक और समाजसेवी थे।
शिक्षामंत्री ने कहा कि मौलाना अनवर शाह कश्मीरी और गुलाम अहमद आशाई के योगदान को अगली पीढि़यों तक पहुंचाने और उन्हें श्रद्घांजलि अर्पित करने के लिए ही शिक्षा विभाग ने उनसे जुड़ी इमारतों के संरक्षण का फैसला किया है।