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डीएसपी की हत्या से बढ़ते कट्टरवाद की खुली पोल

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जामिया मस्जिद के बाहर डीएसपी की नृशंस हत्या ने कश्मीर में बढ़ते कट्टरवाद को

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 01:01 AM (IST)
डीएसपी की हत्या से बढ़ते कट्टरवाद की खुली पोल
डीएसपी की हत्या से बढ़ते कट्टरवाद की खुली पोल

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जामिया मस्जिद के बाहर डीएसपी की नृशंस हत्या ने कश्मीर में बढ़ते कट्टरवाद को फिर से नंगा कर दिया है। वहीं, कई सवाल पैदा कर दिए हैं, जिनका जवाब बहुत जरूरी है। कारण, दिवंगत डीएसपी न वहां खुफिया ड्यूटी पर था और न वह कभी राज्य पुलिस के आतंकरोधी दस्ते (एसओजी) का हिस्सा रहा था।

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वादी में लगातार बिगड़ रहे हालात में शरारती तत्व पुलिसकर्मियों को मौका मिलते ही पीट देते हैं। ऐसी स्थिति में डीएसपी मुहम्मद अयूब को नौहट्टा स्थित जामिया मस्जिद में शब-ए-कद्र की रात, जब हजारों लोग जमा होते हैं, क्यों तैनात किया गया। डीएसपी के साथ उसके अंगरक्षक क्यों नहीं थे? क्या वह मीरवाइज मौलवी उमर फारूक की सुरक्षा के लिए तैनात था? अगर उसके साथ और भी सुरक्षाकर्मी थे तो उन्होंने उसे बचाया क्यों नहीं? अगर वह भीड़ से बचकर निकल गए थे तो उन्होंने वहीं पास में तैनात पुलिस व सीआरपीएफ के जवानों को क्यों नहीं बताया?

सवाल यह भी पैदा होता है कि दिवंगत को जब वहां पकड़ा गया तो उसने युवकों को क्यों नहीं बोला कि वह मीरवाइज की सुरक्षा के लिए आया है? उसने क्यों नहीं मीरवाइज के पास ले जाने की बात की या उसके पकड़ने वाले क्यों उसे मस्जिद के भीतर लेकर नहीं गए? इन सवालों के जवाब तो सिर्फ उसके हत्यारे ही दे सकते हैं।

कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जब उसकी कुछ युवकों से बहस हुई तो उसकी शिनाख्त कराई गई। उसके कपड़े फाड़ उसे घुमाया भी गया। पुलिस ने अभी तक इस मामले में कुछ नहीं कहा है। पुलिस महानिदेशक ने ही दावा किया है कि दो हत्यारों को पकड़ा गया है। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती कहती हैं कि वह वहां नमाज अदा करने गया था और उसने अपने अंगरक्षकों को यह कहकर घर भेजा था कि यहां सभी उसके अपने ही हैं, क्योंकि वह खनयार में रहता था, लेकिन पुलिस के आलाधिकारी कहते हैं कि वह वहां ड्यूटी पर था। जामिया मस्जिद में अक्सर राज्य पुलिस के सुरक्षा विंग के अधिकारी और जवान तैनात रहते हैं। उन्हें पथराव के दौरान भी कोई नहीं छेड़ता। फिर डीएसपी के साथ ऐसा क्या हुआ?

राज्य पुलिस के सुरक्षा विंग के अतिरिक्त महानिदेशक दिलबाग सिंह के अनुसार, मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के मस्जिद में दाखिल होते ही वहां नारेबाजी शुरू हो गई थी। उसी दौरान डीएसपी वहां से बाहर निकला और यह वारदात हो गई। वह वहां अकेला तैनात नहीं था, सुरक्षा विंग के एक दर्जन अधिकारी और जवान तैनात थे।

अतिरिक्त महानिदेशक दिलबाग सिंह के मुताबिक, मस्जिद के भीतर राज्य पुलिस के सशस्त्र बल के जवान भी तैनात थे। इसलिए पूरे मामले की जांच हो रही है

समाज विज्ञानी इसमें कश्मीर में बीते 30 वर्षो से जारी हिंसा के वातावरण से जोड़ सकते हैं, लेकिन यह आने वाले गंभीर संकट का स्पष्ट संकेत है।


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