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अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए चंदा जुटाने का प्रयास

श्रीनगर : राज्य सरकार की ओर से खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करने और उन्हें मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्री

By Edited By: Published: Sat, 18 Feb 2017 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 18 Feb 2017 01:00 AM (IST)
अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए चंदा जुटाने का प्रयास
अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए चंदा जुटाने का प्रयास

श्रीनगर : राज्य सरकार की ओर से खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करने और उन्हें मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए हर संभव मदद के दावों का मखौल उड़ाता बिटगिविंगडॉटकॉम पर ऑनलाइन चंदा जुटाने का अभियान चल रहा है। गुलमर्ग के प्रोफेशनल स्कीईर आरिफ खान की वित्तीय मदद के लिए यह अभियान शुरूहुआ है।

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आरिफ को एशियाई विंटर गेम्स 2017 और कोरियन विंटर ओलंपिक्स-2018 में भाग लेने के लिए पैसे की कमी से जूझना पड़ रहा है। उसे 10 लाख रुपये की मदद चाहिए। अब तक वह 1.6 लाख रुपये जमा कर चुका है।

विश्व प्रसिद्घ स्की रिसार्ट गुलमर्ग की वादियों में पला बढ़ा आरिफ वर्ष 2005 से लगातार राष्ट्रीय दक्षिण एशियाई स्कीईग प्रतियोगिता के सलोलेम और जायंट सलोलैम वर्ग में जीत दर्ज करता रहा है। इसके बावजूद इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन या फिर विंटर गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उसके प्रशिक्षण, यात्रा या फिर स्कीईग उपकरणों के लिए कभी मदद नहीं की है।

आरिफ के पिता यासीन खान गुलमर्ग में एक स्की की दुकान चलाते हैं, जहां वह पर्यटकों और देश-विदेश से आने वाले स्कीईग खिलाडि़यों को किराये पर स्कीईग उपकरण देते हैं। आरिफ भी इसी दुकान पर अपने पिता की मदद करता है। उसने अपने निजी स्कीईग उपकरणों, साजोसामान और ट्रेनिंग पर 5.30 लाख की राशि खर्च की है।

स्कीईग को लेकर जुनून पालने वाले आरिफ ने कहा कि स्कीईग करना आसान नहीं है। यह रोमांच और खतरों का खेल है। यह इंसान की शारीरिक, मानसिक मजबूती और दृढ़ इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। आपको सुबह भीषण ठंड में उठना है। हिमस्खलन और बर्फीले तूफान के खतरे के बीच अभ्यास करना है। हाथ-पांवों में बर्फ लगने का हमेशा डर रहता है, लेकिन आपको इन सबको नजर अंदाज करना है। तभी आप आगे बढ़ सकते हैं।

वित्तीय दिक्कतों से जूझ रहे आरिफ ने नौ फरवरी 2018 से 25 फरवरी 2018 तक दक्षिण कोरिया के प्योंगयांग में होने वाले विंटर ओलंपिक्स में भाग लेने की अपनी संकल्पबद्घता को दोहराते हुए कहा कि अगर पैसा नहीं भी जुटा पाया तो मैं एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व जरूर करुंगा।

उसके पिता यासीन ने कहा कि मौजूदा हुकूमत कहती है कि वह गुलमर्ग को दुनिया का स्की डेस्टिनेशन बनाएगी। यहां दुनियाभर के खिलाड़ी स्कीईग करने के लिए आते हैं। उनके लिए सुविधाएं पैदा की जा रही हैं, लेकिन हमारे खिलाडि़यों और हमारे बच्चों के लिए सरकार सिर्फ बातें करती है। उससे ज्यादा कुछ नहीं। हमने यहां स्कीईग इंस्टीट्यूट में भी संपर्क किया, लेकिन कोई ज्यादा तसल्ली की बात नहीं हुई है।

ऑनलाइन चंदा जमा करने के अपने अभियान में उसके साथियों ने लिखा है कि जो समय आरिफ को अपने अभ्यास पर देना चाहिए, वह चंदा जुटाने के लिए खर्च कर रहा है।

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हरेक को वित्तीय मदद संभव नहीं : पारा

राज्य खेल परिषद के सचिव वहीद पारा ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हमारे पास हरेक की वित्तीय मदद करना संभव नहीं है। आरिफ की यथासंभव मदद करने का प्रयास किया जा रहा है। हमें खुशी है कि उसके इस अभियान को कश्मीर में लोग समर्थन दे रहे हैं और मदद कर रहे हैं, लेकिन एक बात जरूर है कि विंटर गेम्स फेडरेशन की तरफ से हमें उसके बारे मे कोई औपचारिक सूचना नहीं आई है। इसके अलावा वह जिस संगठन से जुड़ा है, वह राज्य में पंजीकृत भी नहीं है फिर भी हम उसे मदद करने का प्रयास कर रहे हैं।


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