आतंकियों को कश्मीर में कब्र के लिए भी जगह नहीं
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : आतंकियों के लिए कश्मीर में अब कब्र के लिए भी जगह नहीं मिल रही है। स्थानीय ग्
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : आतंकियों के लिए कश्मीर में अब कब्र के लिए भी जगह नहीं मिल रही है। स्थानीय ग्रामीण अब नहीं चाहते कि उनके गांव के आसपास किसी जगह आतंकी की कब्र हो। वह नहीं चाहते कि उनके बच्चे पूछें कि कौन दफन है, क्यों मारा गया और वह गुमराह होकर आतंकवाद की राह पर चल पड़ें।
कश्मीरियों की बदलती सोच के कारण गत दिनों पुलिस को उत्तरी कश्मीर के हाजिन गांव में मारे गए तीन विदेशी आतंकियों को दफनाने के लिए बड़े बुजुर्गाें का सहारा लेना पड़ा। हालांकि गत अक्टूबर के बाद पुलिस ने वादी में किसी भी जगह विदेशी आतंकियों के मारे जाने के बाद उसके जनाजे में लोगों की बढ़ती भीड़ के खतरे को भांपते हुए उन्हें सीमावर्ती इलाकों में दफनाना शुरू कर दिया है। उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे उड़ी सेक्टर के बोनियार, त्रिंकनजन और चाहल गांव में मारे गए विदेशी आतंकियों को दफनाया जा रहा है।
गत सप्ताह हाजिन-बांडीपोर में मारे गए तीन विदेशी आतंकियों के शव लेकर जैसे ही पुलिस बाडियां-बोनयार में पहुंची, स्थानीय लोगों ने एतराज जताया। उन्होंने साफ कर दिया कि हमारे गांव में कोई भी अज्ञात आतंकी नहीं दफनाया जाएगा। मुश्ताक खान नामक एक स्थानीय युवक ने कहा कि आतंकियों को दफनाने से स्थानीय लोगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। कई लोग यहां इन आतंकियों के शवों को लेकर सियासत करने आ जाते हैं। कोई कहता है कि इन्हें फर्जी मुठभेड़ में मारा गया तो कोई कहता है कि निर्दाेष नागरिकों को मारा गया है। गांव का माहौल बिगड़ने से बचाने के लिए हमने पुलिस को तीनों मृतक आतंकियों के शव वापस ले जाने के लिए मजबूर कर दिया।
बाड़यां गांव की तरह ही त्रिंकनजन में भी लोगों ने आतंकियों को दफनाने के लिए अपने गांव की जमीन देने से मना कर दिया। गांव के सरपंच राजा शाहिद ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि हमारे गांव का हाल चाहे जैसा हो, यहां आतंकियों की गुमनाम कब्रें हैं। वहां के हालात को आप खुद देख सकते हैं। हमारे गावं में पहले भी कई आतंकी दफन हैं। लेकिन अब नहीं होंगे। हमारा गांव अत्यंत शांत है। यह एक पर्यटन स्थल की तरह विकसित हो सकता है। आतंकियों का शव देखकर हमारे गांव के किशोर और युवाओं के मन पर बुरा असर हो सकता है, होता भी है। उनकी भावनाएं भड़कती हैं। अगर वह गुमराह होकर फिर से आतंकी बनने के लिए सरहद पार जाने लगे तो किसे जिम्मेदार ठहराएंगे। इसलिए हमने अब फैसला किया है कि हम किसी भी आतंक को अपने गांव में दफन नहीं होने देंगे। वह जहां के हों, उन्हें वहीं दफन किया जाए।
यह पूछे जाने पर हाजिन में मारे गए आतंकियों को कहां दफनाया गया तो उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता।
अलबत्ता, बाडियां के मुश्ताक अहमद ने कहा कि थाना प्रभारी बोनियार के नेतृत्व में आया पुलिस दल मारे गए आतंकियों के शव लेकर एलओसी के साथ सटे जंगल में गए थे। उनहोंने फिर वहीं एक स्कूली इमारत के साथ सटे जंगल में आतंकियों को दफनाया होगा।