Move to Jagran APP

महामारी व भूख से नहीं मरे लोग

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सितंबर में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान अपनी जान

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 02:41 AM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 01:11 AM (IST)
महामारी व भूख से नहीं मरे लोग

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सितंबर में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान अपनी जान की परवाह किए बगैर बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने समेत विभिन्न राहत कार्याें में उल्लेखनीय योगदान के लिए मंगलवार को स्थानीय युवाओं और विभिन्न सुरक्षाबलों को सराहा। उन्होंने कहा कि न महामारी और न ही भूख से किसी की मौत हुई।

loksabha election banner

वह यहां जेवन में पुलिस शहीदी दिवस पर आयोजित समारोह में उपस्थित पुलिस, सीआरपीएफ के अधिकारियों व जवानों के अलावा गणमान्य नागरिकों को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने बाढ़ में राहत कार्याें में योगदान करने वाले कश्मीरी नौजवानों की सराहना की। उन्होंने कहा कि बेशक हमें आप लोगों के नाम नहीं मालूम, लेकिन हम आपकी कोशिशों, कठिन परिश्रम और बहादुरी को सलाम करते हैं। मैं आज इस मौके पर आपको अपनी व अपनी सरकार और उन लोगों की तरफ से जिनकी जान आपने बचाई, आपका आभार जताता हूं। बाढ़ से पैदा हुए हालात का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 280 लोगों ने बाढ़ में अपनी जान गंवाई है। अगर सेना, एनडीआरएफ, सीआरपीएफ, बीएसएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस समय रहते मदद न करती तो मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा होती। आज मैं जहां इन बलों के प्रति आभार जता रहा हूं, वहीं मैं आज उन लोगों के प्रति भी आभारी हूं, जो वर्दी नहीं पहनते, जिन्हें तनख्वाह नहीं मिलती। लेकिन उन्होंने बिना किसी इनाम के लालच में सैकड़ों लोगों की जान बचाई।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर पुलिस, सेना, सीआरपीएफ और बीएसएफ ने लाखों लोगों को बचाया है तो यह कहना भी गलत नहीं होगा कि श्रीनगर के नौजवानों ने भी उनमें से लाखों को बचाया है। सरकार ने बाढ़ के दौरान लोगों तक पहुंचने का भरसक प्रयास किया है। यह लोग ही तय करेंगे कि सरकार ने उनके बचाव के लिए प्रयास किए या नहीं। जैसे ही पानी घटा, हमने लोगों तक पहुंचने की कोशिश की। हमने कैसा काम किया, यह लोगों को ही तय करना है। हमें यह भी मानना होगा कि इस विनाशकारी बाढ़ में हुई तबाही के बावजूद कोई भी भूख या ठंड से नहीं मरा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां कई लोग कह रहे थे कि बाढ़ के बाद कश्मीर में लाखों लोग महामारियों से मरेंगे। लेकिन मैं आज दावे से कह सकता हूं कि यहां बाढ़ के बाद कोई जलजनित महामारी नहीं फैली और न किसी की महामारी से कोई मौत हुई है। भूख से भी कोई नहीं मरा। अलबत्ता, यहां मृत पशुओं के कारण महामारी के फैलने का खतरा जरूर था, लेकिन चंद ही दिनों में डेढ़ हजार से ज्यादा मृत पशुओं को उठाकर वैज्ञानिक तरीके से दबा दिया गया।

उन्होंने कहा कि बाढ़ से पूर्व श्रीनगर शहर से रोजाना 200 टन कचरा उठाया जाता था। लेकिन बाढ़ के बाद तीन हजार टन कचरा रोज उठाया जा रहा है। इसके बाद ही हम यह सुनिश्चित कर पाएं हैं कि कश्मीर में कोई महामारी से न मरे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.