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बहुत झेला नुकसान, फिर नहीं चाहिए फायरिंग रेंज

घगवाल : करीब 16 वर्षो तक सेना के फायरिंग रेज का दंश झेल चुके कंडी क्षेत्र के लोगों की नुमाइंदगी करने

By Edited By: Published: Sun, 26 Oct 2014 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 26 Oct 2014 01:02 AM (IST)
बहुत झेला नुकसान, फिर 
नहीं चाहिए फायरिंग रेंज

घगवाल : करीब 16 वर्षो तक सेना के फायरिंग रेज का दंश झेल चुके कंडी क्षेत्र के लोगों की नुमाइंदगी करने वाले सरंपचों ने शनिवार को एक आवाज में कहा कि उन्हे फांयरिंग रेज नहीं चाहिए। यहां एसडीएम कार्यालय घगवाल में सेना के हेड क्वार्टर साज्बा से कर्नल एसके डडवाल, 21 सब एरिया पठानकोट से कर्नल कश्मीर सिंह, ममून कैंट पठानकोट से ले.कर्नल रमेश फांयरिंग रेज से प्रभावित क्षेत्र के सरपंचों, एसडीएम और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत करने पहुंचे थे।

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सैन्य अधिकारी फायरिंग रेज दोबारा खोलने पर इन लोगों की राय जानने पहुंचे थे। वैठक में सरपंच नौनाय विजय टगौत्रा, सरपंच जतवाल मास्टर चमन लाल, सरपंच सगंवाली तरसेम सिंह, सरपंच सुराडा चौधरी सत पाल तथा सरपंच रतवाना वैष्णों दत्त ने फायरिंग रेज के पिछले अनुभव को कड़वा बताते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि उन्हें किसी भी हालत में फायरिंग रेज गंवारा नहीं। स्थानीय लोगों ने 1992 से 2008 तक जो दंश झेला है वो आज भी उनके दिलों दिमाग में ताजा है। सरपंचों ने बताया की 16 वषरें के अंतराल में फायरिंग रेज में 137 लोगों नें अपने प्राण गंवाए और 348 मकानों को क्षति पहुंची। इस दौरान अनगिनत मवेशी भी मारे गए। वहीं, सैन्य अधिकारियों ने तर्क दिया कि इस बार फांयरिंग शतरें के आधार पर होगी और लोगों की अनुमति के बगैर सेना फायरिंग नहीं करेगी। इतना ही नहीं सेना पिछला मुआवजा और भविष्य में होने वाले नुकसान की भी पूरी भरपाई करेगी। लेकिन सरपंचो ने अलग से प्रस्ताव पास करते हुए फायरिंग रेज की अनुमति देने से साफ इंकार कर दिया।


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