Move to Jagran APP

सफाई के अभाव में नहरों का स्वरूप बिगड़ा

By Edited By: Published: Sat, 26 Jul 2014 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 26 Jul 2014 01:01 AM (IST)
सफाई के अभाव में नहरों 
का स्वरूप बिगड़ा

जागरण संवाददाता, कठुआ : किसानों और खेती के लिए लाइफ लाइन कही जाने वाली नहरें सफाई और रखरखाव के अभाव में उपयोगी साबित नहीं हो रही हैं। नहरों का स्वरूप लगातार बिगड़ता ही जा रहा है। जंगल, झाड़ियां और गाद से पटी नहरों में पानी एक छोर से दूसरे छोर तक नहीं पहुंच रहा है। कई जगह क्षतिग्रस्त हो चुकी नहरों की मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति ही की जा रही है।

loksabha election banner

मानसून की अनिश्चतता की वजह से नहरें सिंचाई का मुख्य स्रोत हैं। जिले में नहरों का जाल तो कम नहीं। लेकिन सिंचाई विभाग इनकी साफ-सफाई और रखरखाव के लिए कोई ंठोस योजना आज तक नहीं बना पाई है। खेतों को पानी की आवश्यकता होने पर किसानों को विभागीय कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ता है। लेकिन विभाग फंड या कर्मचारियों का अभाव बताकर हाथ खड़े कर देता है। किसान के अधिक जोर लगाने पर मुख्य नहरों की सार्वजनिक स्थानों से सफाई की जाती है, लेकिन टेल तक तब भी सफाई नहीं कराई जाती है। मिसाल के तौर पर पिछले दिनों फ्लोट गांव में डीसी बैठक के दौरान जब ग्रामीणों ने रोष जताया तो वहां अगले दिन सफाई कराई गई। लेकिन जिले में नहरों की विशेषकर डिस्ट्रीब्यूटरीज (छोटी नहरें) की बात करें तो उनकी कई-कई सालों से सफाई नहीं हुई है। कुछ स्थानों पर झाड़ियों और गाद से पटी डिस्ट्रीब्यूटरीज दिखती तक नहीं है। सिंचाई विभाग के पास इस समय 9 डिस्ट्रीब्यूटरीज हैं, जो सभी कठुआ तहसील में पड़ती है। इस वर्ष भी डी एक, डी फ्लोट और बडाला डिस्ट्रीब्यूटरीज की सफाई नहीं हुई है। यहां पर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं और गाद भर गई है। जिन्हें कई सालों से साफ ही नहीं किया गया है। इस समय किसानों के लिए धान आदि की फसल की सिंचाई के लिए रोज पानी की जरूरत होती है। अब जब किसानों ने नहरों की सफाई के लिए आवाज उठाई है तो विभाग कई स्थानों पर सफाई कराने का दावा कर रहा है। पिछले दिनों विभाग ने डी-1 की भी सफाई कराने का दावा किया। जबकि सिंचाई विभाग हर साल चार महीने तक सफाई के नाम पर दिसंबर से अप्रैल तक नहरों में पानी बंद करता है,लेकिन तब सिर्फ मुख्य नहर ही,वह भी अपै्रल में, जब किसान पानी छोड़े जाने की मांग करते हैं। लेकिन तब किसी भी डिस्ट्रीब्यूटरीज की सफाई नहीं कराता है। अब जहां-जहां से किसान सफाई न होने के लिए हल्ला कर रहे हैं तो वहां अब डिस्ट्रीब्यूटरीज की भी सफाई विभाग कराने का दावा कर रहा है। सफाई न होने से एक तो किसानों के खेतों में टेल तक पानी नहीं पहुंच रहा है,दूसरा नहर में पानी उठाने की क्षमता चार गुणा कम हो जाती है। कई स्थानों पर तो नहरों का अस्तित्व ही मिट चुका हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

डिस्ट्रीब्यूटरीज की जहां से भी सफाई के लिए किसान मांग कर रहे हैं, वहां सफाई की जा रही है। हालांकि मैंने तीन सप्ताह पहले ही विभाग में कार्यभार संभाला है। ऐसे में जहां-जहां से सफाई की मांग की जा रही है, वहां कराई जा रही है।

-विजय गुप्ता, एक्सईएन, सिंचाई विभाग कठुआ

-------------------

नहरों की सफाई की बजाय गांवों में कूलों की सफाई का काम मनरेगा के तहत कराया जाता है,जो कई सालों से बंद पड़ी हैं और विभाग के रिकॉर्ड में नहीं हैं। वहीं सिंचाई विभाग द्वारा नहरों की सफाई मनरेगा के तहत कराने के लिए कभी किसी तरह का प्रपोजल नहीं आया है।

तिलक राज,एसीडी ग्रामीण विकास विभाग


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.