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बसोहली, बनी और बिलावर को चाहिए वर्कशाप

By Edited By: Published: Mon, 21 Apr 2014 11:09 PM (IST)Updated: Mon, 21 Apr 2014 11:09 PM (IST)
बसोहली, बनी और बिलावर को चाहिए वर्कशाप

संवाद सहयोगी, बसोहली : एक अदद वर्कशाप के बिना बसोहली, बनी और बिलावर में किसी भी गांव के जले हुए ट्रांसफार्मर को बदलने के लिए हफ्तों लग जाता है। ऐसे में गांववासियों को बिना बिजली के गुजारा करना पड़ता है। विभाग के जितने चक्कर गांववासी लगाएंगे, उतनी जल्दी ट्रांसफार्मर को बदलने का दबाव बनेगा। गर्मी से पूर्व अगर विभाग बसोहली में अस्थायी वर्कशाप बनाए तो गर्मी में पसीने कम छूटेंगे। विभाग को भी कठुआ से बसोहली लाने ले जाने का खर्च कम पड़ेगा। उससे क्षेत्र की दो पहाड़ी तहसीलों बिलावर के अलावा बनी को भी फायदा होगा।

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ट्रांसफार्मर बदलने में देरी

ट्रांसफार्मर को रिवाइंड करने के लिए जिले में मात्र एक वर्कशाप होने के कारण बसोहली, हीरानगर, बिलावर, कठुआ और रामकोट सब डिविजनों के कई गांवों को बिना बिजली के हफ्तों गुजारा करना पड़ता है। कई गांवों में तो ट्रांसफार्मर महीनों में पहुंचते है। कठुआ से बसोहली के लिए ट्रक भेजने पर भी विभाग का ज्यादा खर्च आता है। अगर यही सुविधा बसोहली में हो, तो बसोहली के साथ लगते बिलावर और रामकोट सब डिविजनों को इसका फायदा होगा। उससे कठुआ की वर्कशाप का वर्क लोड कम होगा। विद्युत विभाग के अधिकारियों की मानें तो कठुआ वर्कशाप में हीरानगर, रामकोट, कठुआ, बसोहली और बनी के ट्रांसफार्मरों को रिवांइड किया जाता है और सारणी के अनुसार ही गांव का नंबर आता है। इस वजह से हमेशा देरी होती है।

कहां है कितने ट्रांसफार्मर

विभागीय जानकारी के अनुसार, बसोहली सब डिविजन में 400 के करीब ट्रांसफार्मर विभिन्न क्षमता के लोड के अनुसार गांवों में लगाए गए है। बिलावर में इससे ज्यादा क्षेत्र होने के कारण 450 से ज्यादा ट्रांसफार्मर है। इसी तरह कठुआ, हीरानगर और रामकोट सब डिविजनों के कुल मिलाकर 2000 के करीब ट्रांसफार्मर हैं, जिनकी मरम्मत के लिए मात्र एक वर्कशाप है। एनएचपीसी की ओर से प्रत्येक गांव को बिजली की सुविधा प्रदान करने के बाद हर गांव में ट्रांसफार्मर लग जाएंगे तो मांग और बढ़ जाएगी।

आबादी के अनुसार वर्कशाप नहीं

विद्युत विभाग की लचर कार्यप्रणाली का उदाहरण यही है कि जिले भर में आबादी बढ़ी, ट्रांसफार्मर बढ़े, लोगों के घरों का लोड भी बढ़ा पर ट्रांसफार्मर रिवाइंड करने के लिए वर्कशाप नहीं बनाई गई। बसोहली, बनी के लोग बसोहली में वर्कशाप बनाने की मांग करते रहे है पर विभाग ने कवायद शुरू नहीं की। इस कारण एक बार किसी भी गांव का ट्रांसफार्मर जल गया तो उस गांव के लोगों और नेताओं को बसोहली कार्यालय के चक्कर लगाने के लिए बाध्य होना पड़ता है।

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पीडीसी के भवन में बन सकता है वर्कशाप

बसोहली में बिलावर, रामकोट और बनी के लिए ट्रांसफार्मरों को रिवाइंड करने के लिए उपयुक्त जगह है, जिसमें कोई खर्च भी नहीं आएगा। वर्कशाप के लिए बसोहली में पावर डेवलपमेंट कारपोरेशन का भवन वर्षो से खाली पड़ा है। उनमें अगर विभाग चाहे तो वर्कशाप बना सकता है। उससे बसोहली, बनी और बिलावर क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा। उससे बसोहली में बेरोजगारों को भी फायदा होगा और एक वर्कशाप के बन जाने से कई गांवों और तहसीलों को फायदा होगा। स्थानीय निवासी रजत सपोलिया, श्यामल डोगरा, सोहन चौधरी, सुमेश शर्मा बिजली विभाग की डेलीवेजर यूनियन के अध्यक्ष धीरज पाधा आदि ने विभागीय अधिकारियों से कई बार अनुरोध किया पर समस्या को लेकर विभाग के अधिकारी परेशान नहीं है।

क्या कहते हैं विधायक

विधायक जगदीश राज सपोलिया का कहना है कि 25 से 100 केवीए के ट्रांसफार्मर अगर बसोहली में रिपेयर हों तो बिलावर बनी जिले की दो पहाड़ी तहसीलों को भी फायदा होगा। वह बिजली मंत्री से बात करेंगे।


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