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जम्मू-कश्मीर : बच्चों के बैग का भार तय, बोझ बढ़ाया तो स्कूलों की रद होगी मान्यता

पहली से दसवीं कक्षा में पढने वाले विद्यार्थियों के लिए राहत भरी खबर। अब उन्हें अपनी पीठ पर स्कूल बैग का अधिक बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 12:00 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 12:00 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर : बच्चों के बैग का भार तय, बोझ बढ़ाया तो स्कूलों की रद होगी मान्यता
जम्मू-कश्मीर : बच्चों के बैग का भार तय, बोझ बढ़ाया तो स्कूलों की रद होगी मान्यता

जम्मू, राज्य ब्यूरो । पहली से दसवीं कक्षा में पढने वाले विद्यार्थियों के लिए राहत भरी खबर। अब उन्हें अपनी पीठ पर स्कूल बैग का अधिक बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। हर कक्षा के विद्यार्थी के लिए स्कूल बैग का भार तय कर दिया गया है। विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए स्कूल बैग का बोझ न्यूनतम एक से डेढ़ किलो और अधिकतम पांच किलोग्राम तक निर्धारित किया गया है। अगर कोई स्कूल प्रबंधन इस आदेश को नहीं मानता है तो उसकी मान्यता तक रद हो सकती है।

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महिला एवं बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन वसुंधरा पाठक मसूदी ने शनिवार को स्कूल शिक्षा विभाग और सभी स्कूलों के लिए एक एडवाइजारी जारी की है। इसमें विद्यार्थियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और देखभाल का जिक्र किया गया है। एडवाइजरी के अनुसार, किसी भी विद्यार्थी को निर्धारित भार से एक भी अतिरिक्त किताब लाने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए। विद्यार्थियों के स्कूल बैग का इतना भार नहीं होना चाहिए जिससे उन्हें बोझ महसूस हो और इसका असर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़े। अगर कोई भी निजी स्कूल इस एडवाइजरी का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी और उसकी मान्यता भी रद कर दी जाएगी।

किस कक्षा के लिए स्कूल बैग का कितना भार होगा :

-पहली और दूसरी कक्षा : एक से डेढ़ किलोग्राम तक

-तीसरी से पांचवीं : दो से तीन किलोग्राम

-छठी से सातवीं कक्षा : चार किलोग्राम तक

-आठवीं से नौवीं कक्षा : साढ़े चार किलोग्राम

-दसवीं कक्षा : पांच किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए

स्कूलों में हो हेल्थ क्लीनिक :

एडवाइजरी में कहा गया है कि हर स्कूल में एक हेल्थ क्लीनिक होना चाहिए, जिसमें डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, प्राथमिक चिकित्सा किट, दवाइयां उपलब्ध हों। इसके अलावा सेनेटरी नैपकिन और स्वच्छ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि किसी भी विद्यार्थी को जरूरत पडने पर उसे तुरंत स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।

बस के स्टाफ को स्कूल के भीतर जाने की न हो इजाजत :

स्कूल बसों के ड्राइवर और अन्य स्टाफ के साथ विद्यार्थियों की बातचीत नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं, ड्राइवर व बस के स्टाफ को स्कूल की इमारत के भीतर जाने की भी इजाजत नहीं होनी चाहिए। सभी स्कूल की गाडियों में जीपीएस होना चाहिए। ड्राइवरों व कंडक्टर की पुलिस से जांच होनी चाहिए। विद्यार्थियों को स्कूल बस पर चढ़ाने और उतारने की व्यवस्था भी सीसीटीवी में कैद होनी चाहिए।

स्कूलों में हो अग्निशमन यंत्र और सुरक्षा के इंतजाम :

एडवाइजरी में सभी स्कूलों को अग्निशमन यंत्र लगाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा गाडियों की पार्किंग, सीसीटीवी, कैमरे, हीटिंग प्रबंध भी होने चाहिए। किसी भी गैर व्यक्ति को स्कूल परिसर और खेल मैदान में आने की इजाजत नहीं होगी। अगर कोई स्कूल में आता है तो तुरंत स्कूल प्रबंधन को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए।


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