भ्रष्ट अधिकारियों पर गिरी गाज
मुख्य संवाददाता, जम्मू : भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्यपाल एनएन वोहरा की ओर
मुख्य संवाददाता, जम्मू :
भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्यपाल एनएन वोहरा की ओर से मुख्यमंत्री महबूबा को लिखे पत्र का असर हुआ और राज्य सरकार ने बुधवार को नौ बेईमान अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी।
दरअसल, कई वर्षो से स्टेट विजिलेंस कमीशन द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सरकार को भेजी गई कार्रवाई रिपोर्ट पर कोई गंभीरता न दिखाए जाने के मामले पर राज्यपाल ने खुद संज्ञान लिया था।
सामान्य प्रशासनिक विभाग ने जिन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है, उनमें पीएचई सब डिवीजन अनंतनाग के तत्कालीन असिस्टेंट एग्जिक्यूटिव इंजीनियर हबीबुल्ला मीर, इसी डिवीजन के तत्कालीन जूनियर इंजीनियर मुहम्मद शफी तेली, ब्लॉक डेवलपमेंट कार्यालय बिश्नाह के तत्कालीन ग्राम सेवक सुभाष चंद्र, इसी ब्लॉक के तत्कालीन जूनियर इंजीनियर सुशील मंगोत्रा, बिश्नाह रूरल इंजीनिय¨रग विंग की सब डिवीजन में तत्कालीन इंचार्ज असिस्टेंट इंजीनियर सतीश कुमार लंगर, इसी सब डिवीजन के तत्कालीन इंचार्ज असिस्टेंट इंजीनियर जितेंद्र सिंह, बिश्नाह के तत्कालीन बीडीओ देवेंद्र कुमार शर्मा, तत्कालीन डीएफओ बांडीपोरा अली मुहम्मद डार, कश्मीर के गुरेज क्षेत्र के तत्कालीन ब्लाक फारेस्टर अब्दुल क्यूम शाह शामिल हैं।
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मध्यम वर्ग के अधिकारियों पर हुई कार्रवाई : राज्य सरकार ने जिन नौ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई है, उनमें बड़े स्तर का कोई अफसर नहीं है। इनमें ग्राम सेवक, जूनियर इंजीनियर, फारेस्टर आदि हैं, जबकि विजिलेंस ने कई कमिश्नर सेक्रेटरी के खिलाफ भी जांच की है, लेकिन उनमें से किसी भी दागी आइएएस नौकरशाहों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। विजिलेंस पिछले 25 साल में सचिवालय के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाई है। यह बात दीगर है कि सचिवालय से दूसरी जगह स्थानांतरित होने के बाद जरूर कार्रवाई हुई है।
कुल 1031 शिकायतें मिलीं : विजिलेंस कमीशन को वर्ष 2016 में कुल 1031 शिकायतें मिलीं। इनमें से 877 शिकायतों को जांच के बाद खारिज कर दिया गया। 105 शिकायतों को पुलिस, क्राइम ब्रांच और विजिलेंस संगठन को एफआइआर दर्ज करने के लिए भेजा गया। विजिलेंस कमीशन ने विजिलेंस कमीशन एक्ट 2011 में संशोधन कर और अधिकार दिए जाने का प्रस्ताव भेजा है, लेकिन अभी ऐसा नहीं हो पाया है।
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पहले भी कोर्ट से रिहा हो गए थे अधिकारी :
मुफ्ती मुहम्मद सईद ने भी वर्ष 2015 में 63 अधिकारियों को नौकरी से बेदखल कर दिया था। इनमें से अधिकतर अधिकारी कोर्ट चले गए और बीस से अधिक अधिकारियों को कोर्ट से क्लीनचिट मिल गई थी। इसका एक बड़ा करण यह रहा कि सरकार की ओर पेश वकील भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस सुबूत पेश नहीं कर पाए थे।
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