गुलाम कश्मीर निवासी जफ्फर को 12 साल बाद मिली 10 साल की सजा
केस के मुताबिक 11 अगस्त 2007 को दिल्ली पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्पेशल ब्रांच की टीम के साथ अब्दुल रहमान के रमजानपुरा जानीपुर स्थित किराये के घर में छापा मारा।
जम्मू, जेएनएन। जानीपुर में 12 साल पहले आतंकवादी सैफुल्लाह कारी के साथ हुई मुठभेड़ में जिंदा पकड़े गए आतंकवादी जफ्फर इकबाल उर्फ उमर उर्फ अब्दुल रहमान निवासी गुलाम कश्मीर को कोर्ट ने दस साल के कारावास व बीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
केस के मुताबिक 11 अगस्त 2007 को दिल्ली पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्पेशल ब्रांच की टीम के साथ अब्दुल रहमान के रमजानपुरा जानीपुर स्थित किराये के घर में छापा मारा। आतंकवादी सैफुल्लाह कारी के खिलाफ दिल्ली के पुलिस स्टेशन स्पेशल सेल में एफआईआर दर्ज थी और इसी एफआईआर के तहत कारी की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली पुलिस ने दबिश दी लेकिन कारी व अब्दुल रहमान ने पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने कारी को मार गिराया जबकि इस मुठभेड़ में अब्दुल रहमान व दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर देवेंद्र शर्मा जख्मी हुए।
प्रिंसिपल सेशन जज जम्मू ने आरोप साबित होने पर अब्दुल रहमान को दस साल के कारावास व बीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट ने साफ किया कि जुर्माने की राशि अदा न होने की सूरत में उसे छह महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी और एक हजार रुपये जुर्माना देना होगा। अगर उसने जुर्माने की यह राशि भी अदा नहीं की तो उसे एक महीने की और सजा भुगतनी पड़ेगी।