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जम्मू-कश्मीर कभी नहीं बन सकता पाक का हिस्सा : फारूक

नेशनल कांफ्रेंस केप्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर कभी भी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बन सकता। भारत से पाकिस्तान नहीं जीत सकता।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 01:43 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2015 03:08 AM (IST)

राज्य ब्यूरो, जम्मू। नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर कभी भी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बन सकता। भारत से पाकिस्तान नहीं जीत सकता।

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वरिष्ठ पत्रकार बलराज पुरी की पहली पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मायूस होने की जरूरत नहीं है। भगवान व अपने आप पर भरोसा रखो। जम्मू-कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बन सकेगा। दोस्ती का रास्ता तो निकलना ही पड़ेगा। एक दिन आएगा जब पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार हो जाएगा। स्वर्गीय बलराज पुरी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्रवाद से उपर उठकर हम सबको एकता से रहना चाहिए। जिस तरह से बलराज पुरी ने इंसान को एक रखने की कोशिश की, उस तरह से हमें भी बिरादरी भाईचारा बनाया रखना चाहिए। जब तक हम यह सोचते रहेंगे वो खा गया, यह खा गया। बात नहीं बनेगी। हम राजनीतिज्ञ वोट के लिए झूठ बोलते हैं। बिल नम्बर नो का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुष्प्रचार किया जाता रहा कि पाकिस्तानी आएंगे और जम्मू-कश्मीर में अपनी संपत्ति पर कब्जा कर लेंगे। यह बात समझ लेनी चाहिए जब तक केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय इसकी इजाजत नहीं दे तब तक कुछ नहीं हो सकता। ऐसा काम नहीं होना चाहिए जिससे नफरत पैदा की जाए। हमें राज्य में मजहबी बिरादरी को मजबूत करना है। मतभेद भुलाकर सबको एक करना है। मैं भारत का रहने वाला है और भारत की सोचता हूं। भारत हर एक भारतीय का है। भारत ङ्क्षहदू, मुस्लिम, सिख, इसाई का है, हर उसका भी है जिनकी जनसंख्या काफी कम है। जम्मू-कश्मीर भारत का ताज है। अगर रियासत टूट गई तो देश भी टूट जाएगा।

मुझे भगवान दिखे आपको अल्लाह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अहमदाबाद में पुरानी मुलाकात का जिक्र करते हुए फारूक ने कहा कि मैंने उनसे कहा था कि ऐसा ङ्क्षहदुस्तान होना चाहिए, जिसमें आपको अल्लाह दिखे और मुझे भगवान दिखे।

शेख अब्दुल्ला को बदनाम करने की हो रही कोशिश

पूर्व मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय बलराज पुरी के साथ हुई अपनी मुलाकातों का जिक्र करते हुए फारूक ने कहा कि क्षेत्रीय स्वायत्तता कमेटी के चेयरमैन रहे। हालांकि दो सदस्यों की राय जुदा थी लेकिन बलराज पुरी इससे पीछे नहीं हटे। वर्ष 1947 में जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना। कश्मीरी कहते हैं कबायली आए थे, कोई ङ्क्षहदू सिख नहीं मारे गए। सब इसे भारत का दुष्प्रचार मानते हुए कहते हैं कि शेख अब्दुल्ला को बदनाम करने की कोशिश की गई। हम सच बोलना नहीं चाहते।

पहाडिय़ों व गुज्जरों में दरार डाल दी

चुनाव के दिनों में इंदिरा गांधी थी। राजौरी में ऐलान किया कि लद्दाख के लोगों को एसटी का दर्जा दिया जाएगा लेकिन मुसलमानों को बाहर रखा। गुज्जरों को एसटी में रखने का ऐलान किया। मैंने सुना कि इंदिरा ने कहा कि अन्य समुदाय को दर्जा देने के लिए अगर मुख्यमंत्री सिफारिश करते हैं तो ठीक हैं। मैंने रात ग्यारह बजे मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई और पहाडिय़ों को एसटी का दर्जा दिलाने की सिफारिश की। वर्ष 1983 में भेजी गई सिफारिश का आज तक कुछ नहीं हुआ। पहाडिय़ों व गुज्जरों में दरार डाल दी। दोनों एक दूसरे को देखना नहीं चाहते। हम कब तक राज्य को बांटते रहेंगे।

हर क्षेत्र के दुख अलग-अलग

पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने क्षेत्रीय स्वायत्तता की वकालत करते हुए कहा कि हर क्षेत्र के दुख अलग अलग हैं। इसलिए क्षेत्रीय आधार पर समस्याओं का समाधान करने के लिए स्वायत्तता जरूरी है।

वरिष्ठ पत्रकार बलराज पुरी की पहली पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में फारूक ने कहा कि राजौरी, डोडा, भद्रवाह, पुंछ व अन्य इलाकों के लोगों के दुख अलग-अलग हैं। हम हर के दिल के दुख दर्द को समझ सके इसलिए क्षेत्रीय स्वायत्तता जरूरी है। यही चीज बलराज पुरी चाहते थे। बलराज पुरी को क्षेत्रीय स्वायत्तता कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था। जम्मू के अरमान अलग है, कश्मीर के लोगों की चाहत कुछ ओर है। इसलिए क्षेत्रीय स्वायत्तता से हर इलाके की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। सियासत गंदी चीज है। मुंह पर कुछ तो पीठ पीछे कुछ ओर।


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