J&K: जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस में रार शुरू, हार के कारणों पर मंथन
एक बड़ा वर्ग लद्दाख प्रांत के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक असगर करबलाई के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने से भी नाराज है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। संसदीय चुनाव में हार के बाद प्रदेश कांग्रेस में भी रार शुरू हो गई है। पार्टी के एक जिला प्रधान और पूर्व विधायक ने पद से इस्तीफा दे दिया है। दो अन्य नेता भी अपने लिए नया ठिकाना तलाश रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर ने भी अपने विश्वस्तों के अलावा पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ हार के कारणों पर चर्चा शुरू कर दी है। इस सबके बीच हार और रार से हताश प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता दिल्ली दरबार में हाजिरी के लिए तैयारी कर रहे हैं।
हाल ही में संपन्न हुए संसदीय चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की छह में से पांच सीटों पर चुनाव लड़ा। दो सीटों पर उसे नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी का समर्थन मिला। बावजूद इसके वह एक भी सीट जीत नहीं पाई। इससे पूर्व वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस जम्मू कश्मीर में अपना खाता खोलने में नाकाम रही थी। हार का अंदाजा राज्य में चुनाव प्रचार और टिकटों के बंटवारे के समय ही तय हो गया था। कई स्थानीय नेता इससे नाराज भी थे, लेकिन चुप रहे। चुनाव नतीजों के बाद अब सब मुखर होने लगे हैं। बारामुला जिला इकाई के अध्यक्ष और पूर्व विधायक शोएब लोन ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है।
असगर करबलाई ने कांग्रेस की जीत को हार में बदला
एक बड़ा वर्ग लद्दाख प्रांत के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक असगर करबलाई के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने से भी नाराज है। उन्होंने लद्दाख में टिकट न मिलने पर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा जिससे कांग्रेस की जीत की हार में बदलने का बड़ा कारण रहा है। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर ने भी बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। इन बैठकों में वह उनके साथ हार के कारणों पर चर्चा करने के साथ ही विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए भी उनकी राय ले रहे हैं। वह उनसे संगठनात्मक गतिविधियों को बढ़ाने व कार्यकर्ताओं और लोगों की भागेदारी बढ़ाने के लिए कह रहे हैं। साथ ही संगठन में नए सिरे से सभी की जिम्मेदारियों को तय करने के साथ सभी के सुझावों को नीतिगत फैसलों में शामिल करने का भी यकीन दिला रहे हैं।
कई नेता तलाश रहे नया ठिकाना
पार्टी के कई नेताओं ने जिनमें दो पूर्व विधायक भी हैं, अपने लिए नया ठिकाना तलाश रहे हैं जबकि जिला डोडा और जम्मू के अलावा उत्तरी कश्मीर के वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अपने साथियों संग दिल्ली दरबार में हाजिरी का फैसला किया है। यह लोग कांग्रेसाध्यक्ष राहुल गांधी से समय मिलने का इंतजार कर रहे हैं ताकि संसदीय चुनाव में हार और टिकट बंटवारे व चुनाव प्रचार के दौरान उपेक्षा से उन्हें अवगत करा सकें। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के करीबियों के अलावा अंबिका सोनी के विश्वासपात्र शामिल बताए जा रहे हैं। यह लोग प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी में ओवरहालिंग चाहते हैं। मीर ने संगठन में किसी तरह की धड़ेबंदी और बगावत से इंकार करते हुए कहा कि कुछ नेताओं में कई मुद्दों को लेकर मतभेद हो सकते हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं है। प्रदेश कांग्रेस के सभी नेता और कार्यकर्ता एकजुट हैं। अगर किसी को नाराजगी हे तो वह उसे व्यक्त करने का पूरा अधिकार रखता है। किसी ने हार के बाद संगठन को नहीं छोड़ा है। हमारे एक युवा साथी शोएब लोन ने जरुर इस्तीफा दिया है,लेकिन उन्होंने जो मुद्दे उठाए थे, उन्हें हम हल कर रहे हैं।
मोदी सरकार ने देश को अंधेरे में रखा : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि उसने अर्थव्यवस्था की हालत के बारे में देश को अंधेरे में रखा। गत दिवस जारी किए गए आंकड़ों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कमेटी के मुख्य प्रवक्ता रविंद्र शर्मा ने कहा है कि इस समय अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खस्ता है। इसकी वजह भाजपा सरकार की कमजोर आर्थिक नीतियां रही हैं। पिछले 45 साल में बेरोजगारी की दर सबसे अधिक पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में रही है। कृषि की विकास दर 2.9 प्रतिशत तक पहुंच गई है। मोदी सरकार ने विकास दर का आकलन 7.2 प्रतिशत किया था, लेकिन अब यह दर 5.8 प्रतिशत निकली है। मोदी सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है, जिसका परिणाम खराब अर्थव्यवस्था के रूप में सामने आया है। संसदीय चुनाव से पहले ही सही आंकड़े लोगों के पास पहुंचने चाहिए थे।
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