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किसानों का प्रोटेक्टड कल्टीवेशन की तरफ बढ़ा रुझान

गुलदेव राज, जम्मू तापमान में उतार चढ़ाव को देखते हुए अब किसानों का रुझान प्रोटेक्टड कल्टीवेशन की

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jul 2017 01:01 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jul 2017 01:01 AM (IST)
किसानों का प्रोटेक्टड कल्टीवेशन की तरफ बढ़ा रुझान
किसानों का प्रोटेक्टड कल्टीवेशन की तरफ बढ़ा रुझान

गुलदेव राज, जम्मू

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तापमान में उतार चढ़ाव को देखते हुए अब किसानों का रुझान प्रोटेक्टड कल्टीवेशन की खेती की तरफ बढ़ने लगा है। पिछले एक साल में करीब 60 और किसान इस खेती से जुड़े हैं। जिले में साढ़े तीन सौ किसान इस तकनीक को अपना कर अस्सी कनाल भूमि में विपरीत मौसम में भी पैदावार हासिल कर रहे हैं। कस्बों से दूर दराज पहाड़ों पर बसे कुछ किसान भी इस तकनीक का लाभ उठा रहे हैं। इसके तहत सर्दियों में गर्म वातावरण देकर पनीरी व सब्जियां उगाई जा सकती है। इसके अलावा गर्मियों में सामान्य वातावरण कर अग्रिम सब्जियां, फल, फूल की पैदावार की जा सकती है। मुख्य कृषि अधिकारी राम लाल भगत के अनुसार यह आधुनिक खेती है। तापमान को नियंत्रित कर बेहतर पैदावार हासिल की जा सकती है। भले ही इसमें कुछ खर्च होता है, लेकिन सरकार की तरफ से किसानों को 50 फीसद तक सब्सिडी दी जाती है। इस तकनीक को अपना कर किसान अग्रिम सब्जियां, फल, फूल की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

क्या है प्रोटेक्टड कल्टीवेशन

प्रोटेक्टड कल्टीवेशन के तहत एक निश्चित स्थान पर तापमान को नियंत्रित किया जाता है। उसके बाद सब्जियों, फल व फूलों के पौधे उगाए जाते हैं। जैसे बहुत ज्यादा ठंड में पनीरी नहीं उग पाती है, लेकिन नियंत्रित तापमान में पनीरी उगाई जा सकती है। पाली हाउस, शेड नेट, लो टनल के जरिये ऐसा किया जा सकता है। 16 वाई 8 का पाली हाउस बनाने के लिए करीब तीस हजार रुपये की लागत आती है।

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पाली हाउस

पाली हाउस एक विशेष शीट से बनाया जाता है। पोल लगाकर जमीन को इस शीट से ढक दिया जाता है। इससे शीट के अंदर का तापमान गर्म हो जाता है। सर्दियों में ऐसे पाली हाउस बनाकर पनीरी उगाई जा सकती है। सब्जियों की खेती भी की जा सकती है। ---------------------------------

शेड नेट

गर्मियों में शेड नेट का इस्तेमाल होता है, क्योंकि यह शीट धूप को रोकने का काम करती है। इससे अंदर का तापमान सीधी धूप नही पड़ने से कम हो जाता है। गर्मियों में टमाटर, बैंगन, मूली, मिर्च, खीरा, करेले आदि की बेहतर पैदावार हासिल की जा सकती है।

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लो टनल : यह तकनीक खर्चा बचाने की दृष्टि से भी बेहतर है। लाइन में लगे सब्जियों के पौधों का भाग ही विशेष शीट से ढंका जाता है, जिससे अंदर गर्माहट रहती है। सर्दियों में ऐसे पैदावार ली जा सकती है। रीवर बेड की खेती इसी तरह से हो रही है।

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सरकार मुहैया करवाएं सुविधाएं

किसान कुलभूषण खजूरिया का कहना है कि छोटे स्तर पर पाली हाउस व शेड नेट तो बनाए जा सकते हैं, लेकिन ग्रीन शेड के लिए मोटी रकम चाहिए। सरकार को चाहिए कि हर किसान को प्रोटेक्टड कल्टीवेशन का सारा साजो सामान उपलब्ध कराए।

वहीं विजयपुर के किसान ओम प्रकाश का कहना है कि इस तरह की खेती से किसानों को हर हाल में पैदावार मिलेगी। इस कल्चर को बढ़ाने की जरूरत है।


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