सुरक्षा ग्रिड पुख्ता करने में सहयोग दे रहा है इजरायल
विवेक सिंह, जम्मू उड़ी में सेना कैंप पर 18 सितंबर को आतंकी हमले में 19 सैनिकों के शहीद होने के बाद
विवेक सिंह, जम्मू
उड़ी में सेना कैंप पर 18 सितंबर को आतंकी हमले में 19 सैनिकों के शहीद होने के बाद जम्मू-कश्मीर में सीमा पर सिक्योरिटी ग्रिड मजबूत किया जा रहा है। दुश्मन के मंसूबे नाकाम बनाने में इजरायल भारतीय सेना को सहयोग दे रहा है। वहीं पाकिस्तान राज्य में बड़े हमले करने के लिए साजिशें रच रहा है। ऐसे में फेंसिंग पर तीसरे चरण में आधुनिक सेंसर लगाने की प्रक्रिया के चलते इजरायली सेना के विशेषज्ञों ने राज्य आकर सीमा पार से आतंकवाद को शह देने की साजिशों को नाकाम बनाने के लिए ट्रेनिंग दी है। राज्य में सीमा के नीचे सुरंग बनाने, पानी के रास्ते से अंदर घुसने के साथ सीढ़ी से फेंसिंग पार करने और इसे काटने की कोशिशें जारी हैं। राज्य में पाकिस्तान के साथ जम्मू संभाग में 202 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा व अखनूर से लेकर लद्दाख के सियाचिन तक 776 किलोमीटर नियंत्रण रेखा है। आतंकी मौसम की चुनौतियों से फेंसिंग को नुकसान व अत्याधिक ठंड में सेंसरों के सही तरीके से काम न करने का फायदा लेने की ताक में रहते हैं।
ऐसे हालात में इजरायली सेना के विशेषज्ञ भारतीय सेना को नई चुनौतियां का सामना करने के तरीके बता रहे हैं। कुछ दिन तक राज्य में प्रवास के दौरान इजरायल की टीम नियंत्रण रेखा के कुछ हिस्सों पर सुरक्षा बंदोबस्त का जायजा लेने के लिए भी गई थी। भारत की तरह इजरायल भी सीमा पार से कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है। पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को शह देने के लिए ऐसी तकनीकी इस्तेमाल की जा रही हैं जो कभी इजरायल में भी प्रयोग की गई हैं। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर फैंसिंग को अभेद बनाने में इजरायली सेना अपनी सानी नही रखती है। इजरायली सेना ने जमीने के नीचे से सुरंग को तलाश कर उन्हें तबाह करने के लिए भी नई प्रणाली विकसित की है। पाकिस्तान की ऐसी ही एक कोशिश जम्मू के आरएसपुरा में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर नाकाम की गई थी।
इजरायल ने सीरिया के साथ लगने वाली अपनी सीमा पर तीसरे चरण में आधुनिक सेंसर्स पर आधारित रक्षा प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली केतहत दुश्मन के मंसूबे नकारने के लिए त्रिस्तरीय रणनीति अपनाई जाती है। अगर दुश्मन की ओर से हमला करने की कोशिश होती है तो समय रहते फैंसिंग पर उस स्थान के बारे अलर्ट जारी हो जाता है। सीमा पर बने टावरों से भी सेंसर के जरिए गतिविधियों संबंधी डाटा जुटाया जाता है। मानव रहित विमानों में इस्तेमाल हो रहे इलेक्ट्रो मेग्नेटिक सेंसर्स से भी डाटा जुटाया जाता है। सभी सेंसर्स का डाटा एक फील्ड कमान सेंटर के जरिए त्वरित कार्रवाई करने के लिए घातक दस्ते को दिया जाता है। सूत्रों के अनुसार उड़ी हमले के बाद तकनीक से पाकिस्तान से लगने वाली सीमा की सुरक्षा को और पुख्ता करने का अभियान जारी है। आधुनिक सेंसर सीमा पर दिन, रात के समय किसी भी प्रकार की गतिविधियों को ट्रैक व रिपोर्ट करने में सक्षम हैं। इनका इस्तेमाल सैन्य संस्थानों, महत्वपूर्ण जगहों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी हो सकता है।