हवाई किले बनाने से बचने का संदेश दिया
जागरण संवाददाता, जम्मू : रंगमंच की सूझबूझ रखने वाला निर्देशक हो और कलाकारों को अपने अभिनय पर विश्वास
जागरण संवाददाता, जम्मू : रंगमंच की सूझबूझ रखने वाला निर्देशक हो और कलाकारों को अपने अभिनय पर विश्वास हो तो दर्शकों को घंटों अपने रंग में रंगा जा सकता है। नाटक लाइटिंग, मेकअप, संगीत, सेट के सहारे नहीं चलता बल्कि कलाकारों को अपना सौ प्रतिशत देने की जरूरत रहती है। यह साबित कर दिखाया पवन वर्मा और बिस्मिल्ला खान सम्मान से सम्मानित युवा निर्देशक सुमित शर्मा के निर्देशन ने। दोनों की जोड़ी ने विश्व रंगमंच दिवस पर आयोजित नटरंग नाट्योत्सव को यादगार बनाया। केएम मिश्र के हास्य नाटक 'हवा हवाई' का ¨हदी रूपांतरण सुमित शर्मा ने किया। नाटक उन लोगों पर केंद्रित है, जो किसी भी समाचार के प्रवाह में बहने लगते हैं। सुरेश मध्यमवर्गीय परिवार का युवक है। उसके वेतन से मुश्किल से परिवार का गुजारा चल रहा होता है लेकिन स्वप्न देखने में यकीन है। वह उस समाचार में रोचकता दिखाता है, जिससे उसे कुछ खुशी मिल सके। एक दिन उसकी नजर एक समाचार पर पड़ती है, जिसमें छपा होता है कि जल्द हवाई जहाज आम आदमी के बजट में मिल सकेगा। वैज्ञानिक सस्ते में दो सीटों वाला जहाज बनाने जा रहे हैं। समाचार से प्रभावित होकर वह अपना पुराना स्कूटर बेचने और लोन लेकर एयर क्राफ्ट ले कर जीवन स्तर सुधारने की सोचता है। वह खुली आखों से हवा में उड़ने के सपने देखने लगता है। उसे लगता है कि उसके दोस्त और रिश्तेदार उससे ईष्र्या करने लगे हैं। वह यह अपने नजदीकी रिश्तेदार विनोद को सुनाता है एवं जहाज के लाभ सुनाता है। उसे धक्का उस समय लगता है, जब वह पूरा समाचार पढ़ता है। जिसमें लिखा होता है कि यह एक योजना है। जहाज अगले 40 वर्षो में बनकर तैयार होगा। अंत में उसे अहसास होता है कि हमें जरूरी कार्यो पर ध्यान देना चाहिए और हवाई किले बनाने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। वरिष्ठ कलाकार पवन वर्मा ने सुरेश की भूमिका निभाई। विनोद की भूमिका सुमित शर्मा ने निभाई। चिंटू की भूमिका में गोपी शर्मा ने छाप छोड़ी। वंशिका गुप्ता ने अपनी भूमिका से न्याय किया। संगीत राजन थथयाल ने दिया जबकि प्रकाश व्यवस्था अंकुश लखनोत्रा की थी।