20 लाख गैलन पानी फेंकने पर भी नहीं शांत हुई आग
जागरण संवाददाता, जम्मू : राज्य की सबसे बड़ी फल की थोक मंडी में स्थित कोल्ड स्टोरेज में चार दिन पहले र
जागरण संवाददाता, जम्मू : राज्य की सबसे बड़ी फल की थोक मंडी में स्थित कोल्ड स्टोरेज में चार दिन पहले रहस्यमय परिस्थितियों में लगी भीषण आग शनिवार को चौथे दिन भी शांत नहीं हो पाई है। हालांकि 15 फायर ब्रिगेड की मदद से 50 जवानों ने दिन-रात एक करके 20 लाख गैलन पानी आग पर काबू पाने के लिए छिड़काव किया है। आग तो काफी हद तक बुझ गई है, लेकिन अभी भी कोल्ड स्टोरेज की सातवीं और आठवीं मंजिल से धुआं निकल रहा है। एहतियात के तौर पर फायर ब्रिगेड की पांच गाड़ियां अभी भी घटनास्थल पर मौजूद हैं। शनिवार को सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि कोल्ड स्टोरेज की बेसमेंट में बनाया गए कुएं से फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने पंप सेट की मदद से पानी भरकर धुएं को पूरी तरह से शांत करने का प्रयास किया। अभी भी सफेद धुआं निकल रहा है। दमकल विभाग के संयुक्त निदेशक आरटी दुबे का कहना है कि जब तक आग पूरी तरह से शांत नहीं हो जाती तब तक पांच फायर ब्रिगेड की गाड़ियां घटनास्थल पर मौजूद रहेंगी। आग तो बुझा दी गई है लेकिन अभी तक लकड़ी, अखरोट सहित अन्य सामान से धुआं निकल रहा है। धुएं में कार्बन मानोक्साइड व सल्फर डाइक्साइड की मौजूदगी से कोल्ड स्टोरेज के भीतर अभी तक भी प्रवेश नहीं किया जा रहा है। हालांकि कोल्ड स्टोरेज के पीछे की इमारत को 35 जगह से जेसीबी की मदद से तोड़ा गया है। अभी भी धुआं कम नहीं हो रहा है। कोल्ड स्टोरेज के भीतर फ्रोजन मीट, किरयाना की वस्तुएं, ड्राई फ्रूट, फल और अन्य सामान आग की चपेट चढ़ चुका है। नुकसान का आकलन आग पर पूरी तरह से काबू पाने के बाद ही किया जा सकेगा। कोल्ड स्टोरेज में अग्निशमन संयंत्र लगने संबंधी सवाल के जवाब में संयुक्त निदेशक ने कहा कि कोल्ड स्टोरेज के मालिक तो अत्याधुनिक अग्निशमन संयंत्र लगाने का दावा कर रहे हैं लेकिन इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। चूंकि जब तक आग लगने वाली जगह पर नहीं पहुंचा जाता तब तक कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। अगर अग्निशमन संयंत्र लगाए भी गए होंगे तो वे भी अग्निकांड की चपेट में आकर क्षतिग्रस्त हो गए होंगे।
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कोल्ड स्टोरेज में आग बुझाने के कैसे होने चाहिए प्रबंध?
- स्वचालित संयंत्र और छिड़काव करने वाला अग्निशमन संयंत्र :- इसका मुख्य काम कोल्ड स्टोरेज के किसी भी हिस्से में लगने वाली आग के बाद उठते धुएं का संदेश बाहर लगे पैनल बोर्ड पर देना होता है। इसके फौरन बाद स्वचालित छिड़काव करने वाला अग्निशमन संयंत्र स्वयं ही धुएं निकलने वाले स्थान पर पानी का छिड़काव कर आग पर काबू करने का प्रयास करता है।
- एलपी, एचपी कट ऑउट्स, सेफ्टी वाल्व, शट ऑफ वाल्व
- कोल्ड चैंबर में आपातकालीन अलार्म सिस्टम और पुश बटन सिस्टम।
- कोल्ड स्टोरेज की दीवार में ब्रेकट से सटे पांच किलोग्राम क्षमता वाला ड्राई केमिकल पाउडर वाला अग्निशमन संयंत्र।
- 4.5 किलोग्राम की क्षमता वाला कार्बन डायोक्साइड से लैस अग्निशमन संयंत्र।
- कोल्ड चैंबर में अमोनिया का दुर्घटनावश रिसाव होने पर एसीयू और मशीन रूम के साथ अमोनिया सेंसर लगाना।
- मशीन रूम में आपातकालीन स्थिति में वेंटिलेशन का प्रावधान करना।
- आपात स्थिति में निपटने के लिए फर्स्ट ऐड किट।
- कोल्ड चैंबर और मशीन रूम में अग्नि सेंसर स्थापित करना।
- शुष्क और पानी पर आधारित अग्निशमन संयंत्र।
- आपातकालीन स्थिति में कोल्ड स्टोरेज में बिजली गुल होने पर सोलर पीवी सैल स्थापित करना।
- आपातकालीन अलार्म सिस्टम कोल्ड स्टोरेज के भीतर और मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थापित करना ताकि आग लगने की सूरत में अलार्म से सभी को सचेत किया जा सके।
सीसीआइ ने राहत पैकेज देने की मांग
जागरण संवाददाता, जम्मू : चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (सीसीआई) ने राज्य सरकार से कोल्ड स्टोरेज में हुए भीषण अग्निकांड के प्रभावित व्यापारियों को राहत पैकेज देने की मांग की है। सीसीआइ के अध्यक्ष राकेश गुप्ता की अध्यक्षता में शनिवार को बैठक हुई। इसमें पदाधिकारियों ने कहा कि कोल्ड स्टोरेज में हुई अग्निकांड से काफी व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। सरकार को चाहिए कि जल्द व्यापारियों को हुए नुकसान का आकलन कर राहत पैकेज का ऐलान करे। इसी बीच सीसीआइ के प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष राकेश गुप्ता, महासचिव अरुण गुप्ता और सचिव राहुल महाजन की देखरेख में मंडलायुक्त शांतमनु से भेंट की। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि प्रशासन एक कमेटी बनाए जो अग्निकांड से हुए नुकसान का आकलन कर सके। बाद में प्रतिनिधिमंडल ने मंडलायुक्त को अग्निकांड से प्रभावित हुए करीब दो दर्जन व्यापारियों की सूची भी सौंपी है। मंडलायुक्त ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि जल्द ही एक कमेटी गठित की जाएगी जो अग्निकांड के कारणों का पता लगाएगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं की पुर्नावृत्ति न हो सके।