कश्मीर में गुरुद्वारों ने जगाई जीने की आस
राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीर में आई विनाशकारी बाढ़ में फंसे हजारों लोगों ने गुरुद्वारों में शरण लेकर
राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीर में आई विनाशकारी बाढ़ में फंसे हजारों लोगों ने गुरुद्वारों में शरण लेकर अपनी जान बचाई। श्रीनगर शहर के गुरुद्वारा शहीद बुंगा और गुरुद्वारा छठी पातशाही में हजारों लोगों को मात्र शरण ही नहीं मिली बल्कि लंगर व आवश्यक दवा भी मिलती रही। बाढ़ से सुरक्षित निकल कर अधिकतर लोग गुरुद्वारा शहीद बुंगा बरजूला में पहुंचे थे।
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व सिख समुदाय की मदद करने पर प्रशंसा की है। बाढ़ में फंसे लोगों को जब सेना, सुरक्षा बल, एनडीआरएफ के जवान निकालते थे तो बड़ी संख्या में लोग गुरुद्वारा शहीद बुंगा में शरण लेते रहे। गुरुद्वारा के द्वार हमेशा की तरह हर एक के लिए खुले थे। अभी भी लोग वहां पर आसरा लिए हुए है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर और दिल्ली सिख प्रबंधन कमेटी की तरफ से गुरुद्वारों में राहत सामग्री व अन्य आवश्यक राशन व दवाईयां पहुंचाई जाती रही। गुरुद्वारा शहीद बुंगा में शरण लिए तनवीर अहमद ने कहा कि वह दस दिन तक गुरुद्वारा में रहे। ठहरने के अलावा लंगर हर समय चलता था। दुख की घड़ी में मिले इस सहयोग के लिए वह बहुत आभारी है।
बेमिना के मसूद ने कहा कि गुरुद्वारा के दरवाजे हर एक के लिए खुले थे। हमे हाल में ठहराया गया और लंगर भी दिन रात चलता रहा। सत्तर हजार से अधिक लोगों को रोजाना ही मिलता रहा लंगर, पैकड फूड व दवा। निट में फंसे विद्यार्थियों को जब निकाला गया तो वे भी दो तीन दिन तक गुरुद्वारों में ठहरे और इस दौरान उन्हें कोई परेशानी पेश नहीं आई।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर के प्रधान अवतार सिंह मक्कड़ ने गत दिनों श्रीनगर का दौरा कर राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात बाढ़ पीड़ितों को हर संभव सहायता देने की बात कही थी। अभी भी गुरुद्वारों में लोग आसरा लिए हुए है।