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इमारत है नहीं, अब प्रिंसिपल का भी पता नहीं

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 03:02 AM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 03:02 AM (IST)
इमारत है नहीं, अब प्रिंसिपल का भी पता नहीं

जागरण संवाददाता, जम्मू : वर्षों से अपनी इमारत न होने से परेशान इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूजिक एंड फाइन आ‌र्ट्स (इम्फा) के विद्यार्थियों की परेशानी अब प्रिंसिपल न होने से और बढ़ गई है।

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इम्फा के पिछले प्रिंसिपल विजय सराफ को सेवानिवृत्त हुए 15 दिन से ज्यादा हो गए हैं। उनके स्थान पर किसी दूसरे को प्रिंसिपल नहीं बनाया गया है। निदेशक स्कूल ऑफ विजुअल आ‌र्ट्स डिजाइन एंड आर्किटेक्ट प्रो. अर्चना केसर को ही प्रिंसिपल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रो. केसर के पास जम्मू यूनिवर्सिटी में भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं। जब से उन्होंने प्रिंसिपल की जिम्मेदारी संभाली है वह मात्र दो बार ही स्टाफ से मिल सकी हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर प्रिंसिपल से बात करनी होती है, लेकिन इम्फा में प्रिंसिपल न होने के कारण वह बार-बार जम्मू यूनिवर्सिटी नहीं जा सकते। प्रिंसिपल अपने आफिस में हों तो विद्यार्थियों की कई परेशानियों का समाधान समय पर ही संभव हो सकता है। विद्यार्थियों का आरोप है कि जबसे इम्फा में प्रिंसिपल नहीं हैं, अध्यापकों का भी इंस्टीट्यूट में आने जाने का कोई समय नहीं रहा।

वहीं इम्फा में तैनात कर्मचारियों के अनुसार जब उनकी प्रो. अर्चना केसर से बैठक हुई थी तो उन्हें इम्फा की परेशानियों से अवगत करवाया गया था। उन्होंने बताया गया था कि इस समय जिस बिल्डिंग में इम्फा की कक्षाएं चल रही हैं वहां कला जैसा माहौल नहीं है। जितना पैसा आज तक किराए की इमारतों पर खर्च किया जा चुका है उतने पैसे में पुंछ हाउस इम्फा बिल्डिंग की अच्छे तरीके से मरम्मत संभव थी। प्रो. केसर ने आश्वासन दिया था कि वह कोशिश करेंगी कि इम्फा की पुंछ हाउस बिल्डिंग की मरम्मत जल्द करवाई जाए, ताकि कक्षाओं को फिर से वहां शिफ्ट किया जा सके।

इस बीच प्रो. अर्चना केसर ने कहा कि इम्फा में काफी सुधार किए जाने की जरूरत है। अपनी इमारत न होना सबसे बड़ी परेशानी है। कुछ वरिष्ठ कलाकारों के सुझाव के अनुसार अगर पुंछ हाउस तालाब तिल्लो की इमारत की मरम्मत हो जाए तो वहां कलाकारों के लिए अच्छा माहौल है। इस सुझाव को वह वाइस चांसलर के समक्ष रखेंगी। वह कोशिश करेंगी कि इम्फा में नियमित बैठा जाए, ताकि विद्यार्थियों की परेशानियों का आसानी से समाधान हो सके।

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