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सांप के डसने से बच्ची की मौत

संवाद सहयोगी, ऊना : सांप के डसने से एक 11 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई। बच्ची ने क्षेत्रीय अस्पताल ऊना

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 01:01 AM (IST)
सांप के डसने से बच्ची की मौत
सांप के डसने से बच्ची की मौत

संवाद सहयोगी, ऊना : सांप के डसने से एक 11 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई। बच्ची ने क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि परिजन बच्ची को पहले झाड़-फूंक करवाने वाले के पास ले गए थे। समय पर इलाज न मिलने के कारण पूरे शरीर में जहर फैल गया जिस कारण बच्ची की मौत हो गई। मृतक बच्ची की पहचान राज¨वद्र कौर (11) पुत्री केसर ¨सह निवासी उदयपुर मराला, जिला ऊना के रूप में हुई है। पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।

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जानकारी के अनुसार बुधवार दोपहर दो बजे के आसपास राज¨वद्र कौर अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर में बेड पर बैठे हुई थी। इस दौरान राज¨वद्र कौर ने अपने परिजनों से दाई बाजू पर किसी नुकीली जीच की चुभन के बारे में बताया। परिजनों ने देखा तो उसकी बाजू पर दो निशान थे। थोड़े ही समय में राज¨वद्र कौर का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। परिजन बच्ची को अस्पताल ले जाने के बजाय किसी झाड़-फूंक वाले के पास ले गए। काफी देर वहां रहने पर रुकने के कारण राज¨वद्र का स्वास्थ्य और बिगड़ने लगा, जिसके बाद परिजन उसे क्षेत्रीय अस्पताल लेकर पहुंचे।

अस्पताल की इमरजेंसी में राज¨वद्र कौर का लगभग आधे घंटे तक इलाज चला। शरीर में ज्यादा जहर फैलने के चलते राज¨वद्र कौर ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। राज¨वद्र छठी कक्षा की छात्रा थी और गरीब परिवार से संबंध रखती थी। उसके पिता ट्रैक्टर चालक हैं। राज¨वद्र की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। जिले में जुलाई माह में अब तक चार लोगों की मौत सांप के डसने के कारण हो चुकी है।

चांद पर पहुंच गए पर सोच वही पुरानी

ऊना : बड़ी हैरानी बात है कि 21वीं सदी में भी हम अंधविश्वास से बाहर नहीं निकल पाए हैं। आज चांद तक हमारी पहुंच हो गई है लेकिन सोच आज भी नहीं बदली। आज भी कोई बीमारी होने या किसी जहरीले जीव द्वारा काटने पर हम पहले घरेलू इलाज ढूंढ़ते हैं और इसमें समय गंवाकर अपनी जान को जोखिम में डाल देते हैं। ऊना में सर्पदंश से बच्ची की हुई मौत इसका ताजा उदाहरण है। अगर बच्ची को समय पर इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी लेकिन परिजन उसे पहले झाड़-फूंक करने वाले के पास ले गए। बस यहीं पर गलती हो गई जो मासूम को अपने साथ ले गई। समय पर इलाज न मिलने के कारण बच्ची के शरीर में जहर फैलता गया। बाद में इलाज मिला भी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। अब बच्ची की मौत के लिए किसे जिम्मेदार ठहराएं, सांप को या मानवीय भूल को या फिर झाड़-फूंक करने वाले को। आज हर छोटे-बड़े अस्पताल में सर्पदंश का इलाज है, फिर भी हम अंधविश्वास में फंसकर अनमोल जिंदगियों को दांव पर लगा रहे हैं। अभी हाल ही में एक किशोर की भी सर्पदंश से मौत हो गई थी। इसकी वजह भी समय पर इलाज न मिलना था। यहां पर भी किशोर को पहले झाड़-फूंक करने वाले के पास ले जाया गया। जब तक अस्पताल पहुंचाया, तब तक जहर फैल चुका था और बच्चे की मौत हो गई। लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। सर्पदंश होने पर घरेलू उपचार और झाड़-फूंक में न फंसकर सीधे अस्पताल पहुंचे और अपना इलाज करवाएं।


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