तीन साल में 40 बार घरों में घुसे तेंदुए
संवाद सहयोगी, बंगाणा : चौकीमन्यार में तेंदुए की मौत के मामले ने मानव और जानवरों के आपसी द्वंद्व को उ
संवाद सहयोगी, बंगाणा : चौकीमन्यार में तेंदुए की मौत के मामले ने मानव और जानवरों के आपसी द्वंद्व को उजागर किया है। वनों का सिमटता दायरा जंगली जानवरों को आबादी तक पहुंचा रहा है। अपनी जरूरत पूरी करने के लिए मानव और जानवर के बीच संघर्ष जारी है। गत तीन साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साफ है कि जंगली जानवरों की जरूरत जंगल पूरी नहीं कर रहे हैं। तेंदुओं को अपनी भूख मिटाने के लिए पालतू पशुओं पर निशाना साधना पड़ रहा है। गत तीन वर्षों में 40 मामले हो चुके हैं, जिनमें तेंदुओं ने गोशालाओं, घरों या अन्य तरीके से हमले किए गए हैं। इनमें वर्ष 2013-2014 में 30 और 2015 से अब तक 10 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें कुछ तेंदुओं को जान गंवानी पड़ी तो कई जानवर भी शिकार बने।
ऊना जिले में तेंदुओं की तादाद अभी कितनी है, इस बारे में भी कोई उचित आंकड़ा नहीं है। करीब 15 साल पहले तेंदुओं की पहचान को लेकर काम हुआ था, उसके बाद यह मुहिम ठंडी है। जंगलों में आग भी जंगली जानवरों को नुकसान पहुंचा रही है। इस कारण तेंदुए सहित कई अन्य जंगली जानवर आबादी की तरफ रूख कर रहे हैं। यहां उनके लिए टिक पाना संभव नहीं हो रहा है और वो हादसे का शिकार बन रहे हैं।
उधर, एसीएफ राहुल शर्मा का कहना है कि जंगली जानवरों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए आम जन सहयोग मिलना जरूरी है। लोग इनका महत्व समझें और इनके संरक्षण को आगे आएं। यदि कोई जानवर आबादी में आता है तो उसे नुकसान पहुंचाने की बजाय विभाग को सूचित करें।