रक्षाबंधन के दिन भाई को अंतिम विदाई
सुरेश बसन, ऊना इसे भाग्य की विडंबना ही कहा जा सकता है कि जिस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधकर
सुरेश बसन, ऊना
इसे भाग्य की विडंबना ही कहा जा सकता है कि जिस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधकर हर विपदा में सुरक्षा का वचन लेती हैं, उसी दिन दो बहनों को अपने भाई को विदा करना पड़ा। हरोली हलके के घालूवाल गांव की नरेश कुमार की रियाद (सऊदी अरब) में करीब अढ़ाई महीने पहले मौत हो गई थी। शनिवार को उसका शव गांव पहुंचा तो हर आंख नम दिखी। नरेश की पत्नी, बच्चे, माता-पिता और भाई-बहन शव से लिपट कर रो रहे हैं। वहीं, गांव और रिश्तेदार दिलासा दे रहे हैं। नरेश के विदेश से शव गांव लाने के लिए परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन शव आया भी तो उस दिन जब कोई बहन अपने भाई को राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र की दुआएं मांगती है तथा कामना करती है कि भाई उसकी रक्षा करता रहे।
शनिवार को ताबूत में बंद घालूवाल निवासी नरेश का शव उसके पैतृक घर पहुंचा तो उसकी दोनों बहनों का रो-रोकर बुरा हाल था। कह रही थीं भाई उठो, हमने आपको राखी बांधनी है। बहनों के इस विलाप को देखकर वहां उपस्थित हर व्यक्ति की आंखों में आंसू थे। नरेश की मौत सऊदी अरब के रियाद में हृदयघात होने से हो चुकी थी। बहनों ने करीब तीन महीने पहले भाई को फोन पर इस बार राखी घर पर बांधने का सपना संजोया था।
हालांकि नरेश की मौत की खबर उसकी पत्नी दर्शन, बेटा कुलदीप, बेटी प्रीती, उसके भाई नरेंद्र, योगेंद्र, पिता संसार चंद, माता शीला देवी के लिए असहनीय है। नरेश के भाई नरेंद्र ने बताया कि नरेश को दोनों बहनों निशा व नीलम से बहुत लगाव था। उन्होंने बताया कि नरेश का अंतिम बार उन्हें फोन 18 जून को आया था।