फसल दो नहीं चार, गजब होगी पैदावार
राजेश शर्मा, ऊना अच्छे दाम मिलने की आस में ऊना जिला के आलू उत्पादकों ने फसल पर प्रयोग किया है। जिल
राजेश शर्मा, ऊना
अच्छे दाम मिलने की आस में ऊना जिला के आलू उत्पादकों ने फसल पर प्रयोग किया है। जिले के किसान साल में आलू की दो से तीन फसलें प्राप्त कर रहे थे। अब कई किसानों ने साल में चार बार आलू की फसल लेने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। प्रयोग कामयाब रहता है तो पैदावार अधिक होगी और कम से कम हिमाचल में आलू की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी।
ऊना जिला में अब साल में चार बार आलू की फसल खेतों में नजर आएगी। इससे हिमाचल में आलू की कमी नहीं रहेगी। आलू की फसल अब सितंबर के बाद नवंबर में भी लगाई जाएगी। सितंबर वाली फसल नवंबर में तैयार होने जा रही है। नवंबर में लगाई जाने वाली फसल के जनवरी में बाजार में आने से आलू की कीमत पर महंगाई का संकट दूर होगा। सालभर आलू की फसल की पैदावार होने से अब प्रमुख शहरों में केवल सर्दियों के दौरान फसल का भंडारण नहीं हो पाएगा। आलू के व्यापारियों को भी इसका पता चल गया है। अधिकांश किसानों ने अब सालभर ही आलू की फसल की पैदावार करने की तैयारी कर ली है। कुछ किसानों ने नवंबर में फसल लगाने के लिए खेत तैयार कर लिए हैं। नवंबर के प्रथम सप्ताह में काफी भूमि पर आलू की फसल लगाई जाएगी। भंडारण की समस्या भी किसानों को अब परेशान नहीं कर पाएगी। नवंबर से जनवरी के बीच इतनी मात्रा में फसल बाजार में पहुंचेगी कि अब बडे़ व्यापारी आलू की फसल का भंडारण भी नहीं कर पाएंगे। घालूवाल के आलू उत्पादक किशन चंद और मुकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने इस दफा साल में चार बार आलू की पैदावार करने जा रहे हैं। सितंबर में लगने वाली फसल नवंबर में निकल रही है और नवंबर में फिर से बिजाई करके जनवरी में पैदावार होगी। कुछ फसल की बिजाई दिसंबर में की जाएगी। यह ऐसी फसल होगी जिसे स्थानीय आलू उत्पादक पक्की फसल बताते हैं और उसका कुछ महीने तक भंडारण किया जाता है। अप्रैल के अंत तक यह फसल तैयार होगी। मई के प्रथम सप्ताह तक फिर से वह अगली फसल के लिए बिजाई कर देंगे। सितंबर तक यह फसल तैयार हो जाएगी। बंगाणा के आलू उत्पादक जोगिंद्र ने बताया कि जनवरी व फरवरी के दौरान भी उनके खेतों में आलू की पैदावार होगी जिससे आलू का मूल्य भी नियंत्रण में रहेगा।
तैयार हुए किसान
ऊना जिला के किसान साल में आलू की दो से तीन फसलें उगाते थे। अब चार बार फसल पैदावार करने के लिए कुछ किसान तैयार हो गए हैं। प्रयोग कामयाब रहा तो यह जिला के किसानों के लिए शुभ संकेत होगा।
डॉ. एचएस राणा, उप निदेशक, कृषि विभाग