कंडम नाव में होता है झील में सफर
राजेश शर्मा, ऊना
गोबिंदसागर झील में मछुआरों की लापरवाही किसी बड़े हादसे को न्योता दे रही है। मछुआरे कंडम नावों को लेकर इस साल भी झील में उतरने वाले हैं। मछली का सीजन खुलते ही ऐसी कंडम नाव पानी में तैरती दिखेंगी। पानी के सफर में अधिकांश मछुआरे कंडम हो चुकी नावों के सहारे ही काम चला रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि न तो उन्हें कोई रोकने वाला है और न ही नावों की फिटनेस जांचने की कोई व्यवस्था है।
पहले भी हो चुके हैं हादसे
गोबिंदसागर झील पर हाल ही में नाव दुर्घटना में एक युवक की मौत हो गई थी। उसके कुछ अन्य साथियों को लोगों ने बचा लिया था। इस हादसे के पीछे की वजह जानने के लिए बेशक किसी ने जहमत नहीं उठाई हो, लेकिन सच यह है कि मछुआरों की लापरवाही से ही यह हादसा पेश आया था। नाव सही स्थिति में होती तो शायद वह दुर्घटना न होती। लठियाणी घाट में कंडम नाव लेकर ही कुछ अनजान युवक झील में मौज मस्ती के लिए निकल पडे़। नाव में जैसे ही सुराख से पानी भरने लगा तो वे स्थिति को संभाल नहीं पाए और नाव समेत डूब गए। गनीमत यह रही थी कि नाव में सवार कुछ युवकों को तैराकी आती थी, जिन्हें स्थानीय कुछ लोगों ने मदद करके सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन एक युवक नाव समेत पानी में समा गया।
कंडम हो चुकी हैं दर्जनों नाव
दैनिक जागरण ने पानी के सफर का सच जानने की कोशिश की और जो तथ्य सामने आए वे चौंकाने वाले थे। जिले के क्षेत्र में करीब 18 किलोमीटर लंबी इस झील में अब भी करीब चार दर्जन से अधिक ऐसी नाव हैं जिनकी या तो स्थिति बेहद खराब है या कंडम हो चुकी हैं। ऐसी नावों का इस्तेमाल मछुआरे मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
कौन लोग हो सकते हैं शिकार
अक्सर बोटिंग का शौक रखने वाले अनजान लोग और पर्यटक कंडम वोट के सफर में हादसे का शिकार हो सकते हैं। यह भी देखने में आया है कि बोटिंग की इच्छा से आने वाले कई पर्यटक और युवक अनजाने में झील के किनारे असुरक्षित खड़ी इन नावों के सहारे अपने शौक को पूरा करते हैं। कई मछुआरों ने खुद खुलासा किया है कि ऐसे कई हादसे होने से उन्होंने स्वयं बचाए हैं। नाव में खराबी से अनजान ये लोग झील में उतर तो जाते हैं, लेकिन उनकी जान पर खतरा हर वक्त मंडराता रहता है। मामूली रिपेयर करके पानी में खड़ी दर्जनों ऐसी नाव कब दुर्घटना ग्रस्त हो जाए यह नहीं कहा जा सकता है।
क्या है खतरा
झील किनारे खड़ी कई ऐसी नाव हैं जो लगभग कंडम हो चुकी हैं। इन्हें मछुआरे तो इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अनजान लोग ऐसी नाव में पानी के बीच आई खराबी को दूर करने में सक्षम नहीं होते और हादसा हो जाता है। ऐसी नावों में गहरे पानी का जब दबाव पड़ता है तो उनमें सुराखों से पानी भरना शुरू हो जाता है।
'झील में अगर मछुआरे ऐसी नावों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह गलत है। इसकी छानबीन कराई जाएगी। संबंधित महकमे के माध्यम से इन मछुआरों को जागरूक किया जाएगा।'
एमएल यादव, एसडीएम बंगाणा।