Move to Jagran APP

मौसम से कैसे करें रखवाली, गेहूं पड़ी काली

By Edited By: Published: Wed, 16 Apr 2014 07:55 PM (IST)Updated: Wed, 16 Apr 2014 07:55 PM (IST)
मौसम से कैसे करें रखवाली, गेहूं पड़ी काली

संवाद सहयोगी, ऊना : जिला में मौसम की मार से किसानों की नींद उड़ा दी है। इसी डर से इस दफा जिला के किसानों ने आलू की फसल खेतों से निकालना शुरू कर दी है। मौसम में ठंडक के चलते तीन माह में तैयार होने वाली फसल साढे़ तीन माह बाद भी तैयार नहीं हो पाई है। उधर किसानों को अचानक तापमान बढ़ने का भय भी सता रहा है। अचानक तापमान तीस से अधिक हुआ तो आलू की लाखों की फसल तबाह हो सकती है।

loksabha election banner

विभाग की ओर से दफा मौसम की दी जा रही स्टीक जानकारियों को ध्यान में रखते हुए जिला के किसानों में आलू की फसल को समय से खेतों से निकालने का निर्णय लिया है। जिला में बुधवार और अगले दो दिनों में यहां बारिश की संभावना जताई गई है। किसानों बिना समय गंवाए आलू की फसल खेतों से निकालने में बेहतरी समझ रहे हैं। कुछ आलू की फसल साढे़ तीन माह में भी तैयार नहीं हो पाई है। ऐसे में इन किसानों के सामने संकट पैदा हो गया है।

जिला में मार्च व अप्रैल में इस दफा सामान्य की अपेक्षा मौसम कहीं अधिक ठंडक रही। बेशक अभी तक मौसम में ठंडक बरकरार है जो किसानों को राहत तो प्रदान कर रही है। अचानक तापमान बढ़ा तो लाखों की आलू की फसल खेतों में ही नष्ट हो जाएगी। उधर, गेहूं की फसल के साथ भी ऐसी ही स्थिति है। गेहूं का तना भी अब सड़न रोग की चपेट में आ चुका है। कई जगह गेहूं की फसल काली होने लगी है।

मौसम में इस प्रकार के अप्रत्याशित रूप से आए बदलाव से जिला के किसानों का आलू ही नहीं अपितु अन्यों फसलों का भी समीकरण बिगड़ गया है। सोमनाथ, रमेश कुमार, साजन, खुशाल सिंह, कुशल, महिंद्रपाल, सरीता, जान मोहम्मद, रसूख, पुष्पेंद्र, किशनू, राम, सर्वण समेत अन्य कई किसानों ने बताया की मौसम की मार ने इस दफा फसल को बुरी तरह से प्रभावित किया है। मार्च व अप्रैल में जो आर्दश तापमान आलू की फसल को प्राकृतिक रूप से पकने को लेकर चाहिए होता है वो मौसम में आए बदलाव के चलते नहीं मिल पाया है। इस पर आए दिन जिला में बेमौसमी बारिश ने हालात और भी बदत्तर कर दिए हैं। मौसम विभाग की अगले दो दिन में भी बारिश के आसार की संभावना पर किसान सर्तक हो गए हैं। उनका कहना है की फसल पर यदि पानी की बूंद भी गिर जाए तो आलू में सड़न पैदा होने लग जाएगी। इसे देखते हुए वे आलू जमीन से बाहर निकाल रहे हैं। उनका कहना है की आलू का विकास कम होने के चलते इस दफा इसका आकार सामान्य से काफी छोटा रहा है। इस बार इस फसल को लेकर लागत तक भी पूरी नहीं हो पाएगी। उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई है कि नुकसान का आंकलन कर उन्हें मुआवजा राशि दी जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.