सरकारी दवा केंद्रों में मानक नजरअंदाज
सुनील शर्मा, सोलन प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बेहतर एवं सस्ते इलाज की उम्मीद में दूरदराज क्षेत्
सुनील शर्मा, सोलन
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बेहतर एवं सस्ते इलाज की उम्मीद में दूरदराज क्षेत्रों से पहुंचने वाले लोगों के साथ स्वास्थ्य विभाग खिलवाड़ कर रहा है। अस्पतालों में बैठे चिकित्सक तो मरीजों का मुआयना कर उन्हें उपयुक्त दवा लिख देते हैं, लेकिन अस्पताल परिसर में ही खुली सस्ती दवाओं की सरकारी दुकानों में अंजान हाथ उन्हें मर्ज की दवा दे रहे हैं। इस बात की जब पड़ताल की गई तो पता चला कि इन सरकारी दवाओं की दुकानों में मात्र एक ही फार्मासिस्ट 24 घंटे सेवाएं देने के लिए तैनात किया गया है, लेकिन ऐसा कैसे संभव है कि पूरा साल कोई व्यक्ति सोए बिना सेवाएं दे। स्वास्थ्य विभाग के कागजों में इस बात के सबूत भी दर्ज हैं जिसमें यह बताया गया है कि एक ही फार्मासिस्ट अस्पताल में खोली गई सरकारी दवा दुकानों में सेवाएं दे रहे हैं। कुछ ही दिन पूर्व ड्रग इंस्पेक्टरों की एक टीम ने जिला के सभी मेडिकल स्टोरों पर छापामारी की लेकिन सरकारी मेडिकल स्टोर पर इस कार्रवाई का असर नहीं दिखा।
तीन जिला के नौ केंद्रों में यही हाल
प्रदेश के तीन जिलों सोलन, शिमला सिरमौर के नौ सरकारी दवा केंद्रों पर यही हाल है। सोलन जिला के नालागढ़ व सोलन अस्पताल में एक-एक फार्मासिस्ट है। सिरमौर के दो अस्पतालों और शिमला के नौ केंद्रों पर यही हाल है। सभी नौ केंद्र एक-एक फार्मासिस्ट के सहारे चल रहे हैं। फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में दवाओं से अनजान हेल्पर ही मर्ज की दवाएं बांटना शुरू कर देता है।
कमीशन के फेर में खिलवाड़
स्वास्थ्य विभाग की मानें तो केंद्रों पर तैनात फार्मासिस्ट को निर्देश जारी हैं कि वह अपनी अनुपस्थिति में अपने स्थान पर किसी फार्मासिस्ट की ड्यूटी लगाए, लेकिन ऐसा असंभव है। विभाग वेतन तो मात्र एक ही फार्मासिस्ट को देता है तो दूसरा फार्मासिस्ट कहां से मिलेगा। विभाग का कहना है कि केंद्रों पर फार्मासिस्टों को कमीशन दिया जाता है जिसके माध्यम से वह अन्य स्टाफ रख सकता है। इसके लिए एक फीसदी व दो फीसदी कमीशन तय किया गया है। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में फार्मासिस्ट की अपने स्थान पर हेल्पर से ही काम चला रहा है और दूर दराज क्षेत्रों से आए मरीजों को अंजान व्यक्ति ही दवाएं बांट रहा है।
केंद्र पर एक ही फार्मासिस्ट को वेतन
हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के डिविजनल मैनेजर आरके चड्डा ने बताया कि उनके अधीन पांच जिला हैं जिनमें नौ सरकारी दवा केंद्र हैं। विभाग द्वारा प्रत्येक केंद्र पर एक ही फार्मासिस्ट को वेतन दिया जाता है। इसके अलावा उसकी अनुपस्थिती में उन्हें उचित व्यवस्था के निर्देश हैं। 1989 से सरकार ने सरकारी दवा केंद्र खोले हैं उस वक्त से अब तक एक ही फार्मासिस्ट रखने का प्रावधान है।
अनुपस्थिति पर होगी कार्रवाई
ड्रग इंस्पेक्टर बसंत मित्तल ने कहा कि वह मेडिकल स्टोर पर समय-समय पर छापामारी करते हैं। सरकारी अस्पताल में मौजूद दुकानों में भी अगर कोई फार्मासिस्ट मौके पर मौजूद नहीं होगा तो कारवाई अमल में लाई जाएगी।