सोलन में सेल.. का धंधा भी मंदा फोटो सहित
जागरण संवाददाता, सोलन : जिला मुख्यालय सोलन के जिन बाजारों को लेकर कभी जनपद में 'ओ बाबुआ मां तो जाई औ
जागरण संवाददाता, सोलन : जिला मुख्यालय सोलन के जिन बाजारों को लेकर कभी जनपद में 'ओ बाबुआ मां तो जाई औणा सोलनी बाजार ..' जैसे गीत बनाए और गाए जाते थे, आज उन बाजारों में दीवाली पर्व पर भी मंदी छाई हुई है। इस त्योहारी सीजन पर उपभोक्ताओं की उपेक्षा का ऐसा ग्रहण लगा है कि यहां दुकानों पर वस्त्र व जूतों सहित अन्य सामान की सेल भी ग्राहकों को अपनी ओर नहीं खींच पा रही, जिससे बाजार में सेल.. का धंधा भी मंदा चल रहा है। सोलन में मॉल रोड सहित अप्पर बाजार, गंज बाजार, चौक बाजार और राजगढ़ रोड व सर्कुलर रोड के अलावा लगभग हर जगह सेल लगी है। यहां बिकाऊ सामान तो पड़ा है, लेकिन उन्हें खरीदने वाले नहीं आ रहे।
सोलन के मुख्य माल रोड पर अति व्यस्ततम व्यवसायिक परिसर में कहीं महिला-पुरुष के रेडिमेड वस्त्र, जूते तो कहीं पर घरेलू आवश्यकताओं के अन्य सामान की सेल लगी है। ऐसा ही हाल माल रोड की विभिन्न दुकानों सहित शहर के अन्य बाजारों का भी है, जहां दुकानदार दिन भर त्योहारी बिक्री की उम्मीद में बैठे फेस्टिव कस्टमर का इंतजार कर रहे हैं। यहां ग्राहक तो आ रहे हैं और चाव के साथ पूरा-पूरा परिवार सामान भी देख रहा है, लेकिन उसे खरीदने के लिए हाथ नहीं बढ़ा रहा।
इससे दुकानदार परेशान हैं कि पूरे साल से उन्हें एक दीवाली का इंतजार रहता है, जिस दौरान हर छोटा-बड़ा व कम गुणवत्ता का बचा सामान भी सेल में निकल जाता है, लेकिन इस बार ग्राहकों का सेल की तरफ भी ध्यान नहीं।
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क्या कहतें हैं दुकानदार
=सोलन के अप्पर बाजार में जूतों के विक्रेता सुरेंद्र कहते हैं कि त्योहारों जैसा माहौल ही नहीं बना है। उनकी दुकान पर रूटीन के ग्राहक आ रहे हैं, जो केवल एकाध जूते खरीदते हैं, जबकि पहले दीवाली के दौरान लोग पूरे-पूरे परिवार की खरीददारी करके जाते थे।
=मॉल रोड पर रेडिमेड गारमेंट के दुकानदार साहिल का भी यही दुखड़ा है। इनके अनुसार डेढ़ महीने से गर्म वस्त्रों की सेल लगा रखी है, लेकिन ग्राहक दुकान की सीढि़यां ही कम चढ़ रहा है।
=मेन बाजार में रेडिमेड वस्त्रों की वन स्टॉप शॉप के मालिक बताते हैं कि दुकान पर बीच-बीच में ग्राहक आ रहे हैं, लेकिन एवरेज नहीं निकल रही।
=मेन मॉल पर जूतों की दुकान चला रहे गुलशन सभ्रवाल हैरान हैं कि दीवाली से सप्ताह भर पहले तक उनकी सेल का आधा माल बिक जाता था। इस बार सेल का रंग ही नहीं जमा है, जहां लोग आते हैं, सामान देखते हैं और दाम पूछकर आगे निकल जा रहे हैं।