पर्यटकों को खूब लुभा रहा है इटली की शैली में बना रानीताल गार्डन
रानीताल गार्डन का निर्माण 1889 में हुआ था। ऐसे में इसका ऐतिहासिक महत्व भी कम नही आंका जा सकता।
नाहन, राजन पुडीर नाहन। नाहन शहर में गर्मी के साथ पर्यटकों की चहल-पहल भी बढऩे लगी है। आजकल सुबह-शाम रानीताल गार्डन में पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है। गर्मी से निजात पाने के लिए गार्डन आजकल स्थानीय लोगों व पर्यटकों के आकर्षण का केद्र बना हुआ है। जिला सिरमौर मुख्यालय स्थित नाहन शहर के बीचोंबीच स्थित रानीताल गार्डन शहर की सुंदरता को चार चाद लगाता है। रानीताल गार्डन का निर्माण 1889 में हुआ था। ऐसे में इसका ऐतिहासिक महत्व भी कम नही आंका जा सकता। 393 साल पुराने नाहन शहर में हैरीटेज के लिहाज से अब भी कई इमारतें मौजूद है, लेकिन गार्डन की अपनी ही एक गरिमा रही है।
जानकारों का मानना है कि यह प्रदेश का सबसे पुराना व ऐतिहासिक गार्डन हो सकता है। करीब 25 से 30 बीघा क्षेत्रफल में फैला यह बाग प्राकृतिक छटा से सराबोर है। गार्डन के भीतर लगे सैकड़ों आम व लीची के पेड़ पर लगे फल अपनी ओर आकर्षित करते है। नाहन शहर का डिजाइन इटली के इंजीनियर ने बनाया था। इसके बाद गार्डन के कुछ हिस्सों को भी इटली की शैली में तैयार किया गया है। गार्डन में भगवान शिव का प्राचीन मदिर मौजूद है। मदिर में अदभुत 12 ज्योतिलिग प्रतिष्ठापित किए गए है। तालाब की खूबसूरती आगतुकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। गार्डन में दशकों पुराना फव्वारा जीर्णक्षीण अवस्था में है। ऐसा भी माना जाता है कि रियासत के दौरान शाही महल से रानी इसी फव्वारे में नहाने के लिए भूमिगत गुफा से पहुंचती थी। गुफा में रानी की निजिता बरती जाती थी।
दशकों से यह गुफा बंद पड़ी है। एक कुएं के अलावा बारादरी का भवन भी ऐतिहासिक है। गार्डन का स्वामित्व नगर परिषद के हाथों में है। यहा लीची व आम के बगीचों से नगर परिषद को हजारों की आमदनी होती है। सुबह-शाम तालाब के राउंड का इस्तेमाल सैरगाह के तौर पर होता है। 60 के दशक में बालीवुड की सुपरहिट फिल्म गुनाहो का देवता के दृश्य इसी गार्डन में फिल्माए गए थे। फिल्म में जीतेद्र ने अभिनेता व राजश्री ने अभिनेत्री का किरदार निभाया था। गार्डन के भीतर बच्चों के खेलने के लिए झूलों के साथ पार्क की भी व्यवस्था है।
गार्डन को खूबसूरत बनाने में कोई कसर न रहे, इसके लिए खास तौर पर इंग्लैंड से मगवाई गई कास्ट आयरन से निर्मित कई मूर्तिया पार्क वाली तरफ लगाई गई थी। इसमें से वर्तमान में शायद ही कोई बची हो। इसे जिला सिरमौर का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि इस गार्डन को आज तक हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग की विवरणिका में अब तक भी जगह नही मिल पाई है।
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