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चुनावी राजमार्गों के बीच गुटों के गड्ढे

सड़कों के नाम पर हिमाचल की सियासत नए रंग ले रही है। खास कर भाजपा की चुनावी दौड़ नेशनल हाइवे के नाम पर तेज रफ्तार पकड़ चुकी है। पार्टी ने जिस कदर राज्य के चारों लोकसभा हलकों में केंद्रीय भूतल व परिवहन मंत्री नितिन गड़करी के सरकारी कार्यक्रम करवाए,

By Neeraj Kumar Azad Edited By: Published: Tue, 07 Jun 2016 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jun 2016 08:08 PM (IST)
चुनावी राजमार्गों के बीच गुटों के गड्ढे

डॉ. रचना गुप्ता
सड़कों के नाम पर हिमाचल की सियासत नए रंग ले रही है। खास कर भाजपा की चुनावी दौड़ नेशनल हाइवे के नाम पर तेज रफ्तार पकड़ चुकी है। पार्टी ने जिस कदर राज्य के चारों लोकसभा हलकों में केंद्रीय भूतल व परिवहन मंत्री नितिन गड़करी के सरकारी कार्यक्रम करवाए, उससे न सिर्फ 'कमलÓ के पत्ते कई दिशाओं में खिलते दिखे बल्कि नए व पुराने नेताओं की सियासी हसरतें भी खुलकर सामने आई हैं। इसी बीच अभी तक प्रदेश के मामलों से कतराते आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की सक्रियता के संकेत, साफ तब दिख रहे हैं जबकि अकसर कभी वह विवादों से कन्नी काटते रहते थे। भगवा, हिमाचल में किस तरह अपना रंग जमाए, यह टटोलने के लिए गड़करी के दो दिन के कार्यक्रम से बेहतरीन अवसर पार्टी आलाकमान के पास हो भी नहीं सकता था। हालांकि मौके की नजाकत भांप दो मर्तबा भाजपा के मुख्यमंत्री रह चुके प्रेम कुमार धूमल ने भी अपनी दमदार मौजूदगी को बताने में कोर-कसर नहीं रखी। लेकिन इतना तो साफ हो गया कि जेपी नड्डा की धमक, धूमल की एक बड़ी चुनौती बन गया है। जबकि इससे पहले धूमल को 'मैदानÓ खुला मिलता रहा था।
राज्य में चुनावों को ठीक डेढ़ वर्ष का वक्त रह गया है। इसीलिए योजनाबद्ध तरीके से केंद्र सरकार के मार्फत भाजपा ने हिमाचल पर नजरें टिकानी शुरू कर दी हैं। इसकी शुरूआत विकास योजना के कार्यक्रमों के आयोजनों के साथ ही पार्टी नेताओं की नब्ज टटोलने को लेकर भी शुरू हो चुकी है। रविवार व सोमवार को नितिन गड़करी के हिमाचल में चारों संसदीय हलकों- क्रम से मंडी, शिमला, कांगड़ा व हमीरपुर के कार्यक्रम बने। जिसमें उन्होंने 16 नए राष्ट्रीय राजमार्गों का ऐलान किया। कुछ माह पहले 17 राजमार्गों की घोषणा की थी। हालांकि अभी डीपीआर बननी है, भू अधिग्रहण होना है और कार्य शुरू होने में वक्त लगेगा, लेकिन घोषणाओं को भुनाने के लिए चारों हलकों में आभार रैली का कार्यक्रम जिस तरह आयोजित किया गया उससे पार्टी के बीच चल रही कसक सामने भी आई है। हालांकि अंर्तद्वन्द्व का जो मंजर रविवार को खुलकर सामने आया उसके बाद सोमवार को कांगड़ा हलके के कार्यक्रम में भाजपा सतर्क हो गई और इसे सरकारी आयोजन तक सीमित रखा। इन कार्यक्रमों में जिस तरह अर्से के बाद जेपी नड्डा व प्रेम कुमार धूमल ने एक मंच को साझा किया वह गौर के काबिल था क्योंकि वर्ष 2008 में प्रेम कुमार धूमल के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान जेपी नड्डा वन मंत्री थे तब वह इतने असहज सरकार में हुए कि मंत्रिपद छोड़ दिल्ली संगठन में चले गए। अब मंडी के कार्यक्रम में मंच पर जब दोनों साथ थे तब सामने ही धूमल व नड्डा के पोस्टरों के नारे खुलेआम लगे। एक तरह से इस शक्ति प्रदर्शन ने धड़ेबाजी को सार्वजनिक तो किया ही है जिसकी हमीरपुर के कार्यक्रम में अगले दिन प्रतिक्रिया भी दिखी। हमीरपुर सीट प्रेम कुमार धूमल के बेटे व बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की है। इसी सीट से जेपी नड्डा भी हैं जो संसदीय बोर्ड सदस्य भी हैं। इसलिए धूमल के लिए असहजता हुई कि पहली बार धूमल के साथ एक बड़ा चेहरा राज्य में चुनौती स्वरूप खड़ा हो गया है। वहीं नड्डा जो अक्सर विवादों से परहेज करते रहे हैं, को विवादों में आना पड़ा। चर्चा रही कि असम राज्य चुनाव से फार्मूले को पार्टी आलाकमान हिमाचल में भी जारी रख सकता है, जहां केंद्रीय मंत्री को राज्य अध्यक्ष बना कर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर दिया गया था। लेकिन प्रदेश में धूमल का भी एक बड़ा जनाधार है। उम्र की अड़चन न हो तो राज्य को दो मर्तबा चलाने का तजुर्बा है। ऐसे में उनकी अनदेखी उस स्तर पर कम से कम नहीं हो सकती जैसी चुनावों के वक्त अक्सर शांता कुमार की हो जाया करती थी। हां बदले दौर में मंडी व शांता के कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों में नड्डा का बल बढ़ा है।
बहरहाल अंगारे सुलगे हैं और धुआं उठना शुरू हो गया है। विकास की बयार किस दिशा में पार्टी व भाजपाइयों को ले जाएगी, यह देखना होगा। इंतजार पार्टी के नेतृत्व को लेकर फैसले का है।

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