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कोटखाई मामला: भाजपा ने कहा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाओ

कोटखाई मामले में सरकार व पुलिस की कार्यप्रणाली से नाराज भाजपा ने हिमाचल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।

By Munish DixitEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 05:12 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 09:29 AM (IST)
कोटखाई मामला: भाजपा ने कहा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाओ

जेएनएन, शिमला: कोटखाई मामले में सरकार व पुलिस की कार्यप्रणाली से नाराज भाजपा ने हिमाचल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। भाजपा ने वीरवार को मामले पर राजभवन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत को ज्ञापन सौंपा है। इसमें कहा है कि सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाना आवश्यक हो गया है क्योंकि सरकार अपने दायित्व का निर्वहन निष्ठापूर्वक नहीं कर पा रही है और प्रदेश अराजगता के दौर से गुजर रहा है। भाजपा ने राज्यपाल से मांग की है कि प्रदेश की वीरभद्र सरकार को तत्काल भंग किया जाए। इसके साथ ही गुडिय़ा की हत्या के बाद प्रदेश के पुलिस अधिकारियों जिसमें शिमला जिला के पुलिस अधीक्षक सहित एसआईटी की पूरी टीम को बर्खास्त किया जाए।

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इसके साथ ही गुडिय़ा की हत्या के बाद प्रदेश के पुलिस अधिकारियों जिसमें शिमला जिला के पुलिस अधीक्षक सहित, एसआईटी की पूरी टीम को बर्खास्त किया जाए और पुलिस अधिकारी जो भी सरकार के इशारे पर मामले को रफादफा करने में अपनी भूमिका निभा रहे है, उन्हें भी नौकरी से बर्खास्त किया जाए। ज्ञापन के माध्यम से भाजपा ने कहा है कि कोटखाई गुडिय़ा दुष्कर्म व नृषंस हत्या का मामला सीबीआई द्वारा समयबद्ध सीमा के अनुसार किया जाए और जांच पूरी होने पर मामले की सुनवाई दिन प्रतिदिन फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा की जाए। अभी तक की गठित सभी एसआईटी समितियों को भंग कर प्रदेश के स्वच्छ छवि व ईमानदार पुलिस अधिकारियों को सीबीआई के साथ लगाया जाए, जिससे कि मामले की तहत तक पहुंचकर गुडिय़ा की हत्या के मामले को हल किया जा सके। इस प्रकरण में संलिप्त दोषियों को फांसी की सजा दी जाए।

सरकार व पुलिस लोगों का विश्वास उठा

भाजपा उपाध्यक्ष गणेश दत्त ने कहा कि पुलिस लॉकअप में बंद कैदी भी सुरक्षित नहीं है, उसका जीता जागता उदाहरण कोटखाई की नाबालिक गुडिय़ा के हत्या के आरोपी सूरज नाम के व्यक्ति की पुलिस थाने में की गई हत्या इस सारे केस की पोल खोलती है। प्रदेश में सरकार नाम की चीज नहीं है। नागरिकों के जानमाल, जीवन की रक्षा की कोई गारंटी नहीं है। प्रदेश में अराजगता का आलम है। इस मामले में पुलिस व सरकार रक्षक की बजाय भक्षक बन कर सामने आई है। आरोप लगाए है कि पुलिस दोषियों को बचाने में लगी हुई है। पुलिस गुडिय़ा के हत्यारों को बचाने के लिए घटना स्थलों के साक्ष्य मिटा रही है ताकि सीबीआई के हाथ हत्या के सबूत न लग सके। 


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