चुनावी शिगूफा न हो गाइडलाइन का झांसा
राज्य ब्यूरो, शिमला : आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए गाइडलाइन बनाने के निर्णय पर आशा की किरण तो जगी
राज्य ब्यूरो, शिमला : आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए गाइडलाइन बनाने के निर्णय पर आशा की किरण तो जगी है, लेकिन डर यह भी है कि कहीं यह चुनावी शिगूफा न हो। इसलिए आउटसोर्स कर्मचारियों ने दो टूक कहा दिया है कि जो भी गाइडलाइन बने उसमें बाद में यह न सुनने को मिले कि विधि विभाग ने फाइल लटका दी या अन्य को पेचिदगियां फंस गई।
प्रदेश में विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे आउटसोर्स कर्मचारियों में सबसे अधिक स्कूलों में तैनात कंप्यूटर शिक्षक है। इन्होंने बीते कई साल से सरकार पर नीति बनाने के लिए धरना प्रदर्शन व हड़ताल कर कई बार दबाव बनाया। अब जब मंत्रिमंडल के सीधे स्पष्ट कोई आदेश नहीं हैं तो इससे कंप्यूटर शिक्षक संघ ने दो टूक कह दिया है कि या तो आउटसोर्स कर्मचारियों को अनुबंध पर लाया जाए, यदि इसमें कोई लीगल प्रॉब्लम होती है तो एक अन्य विकल्प यह है कि सोसायटी बनाई जाए। इसके बाद आउटसोर्स कर्मचारियों को अनुबंध पर लाया जाए और नियमितीकरण कर लाभ दिया जाए। जिस तरह से आरकेएस व ई-गवर्नेस के कर्मचारियों को दिया है। संघ के प्रेस सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि पंजाब सरकार ने भी आउटसोर्स कर्मचारियों को सोसायटी में लाने के बाद नियमितीकरण का लाभ दिया है। हिमाचल सरकार भी अनुबंध पर न लाने की स्थिति में सोसायटी के तहत लाकर कम अंतराल में नियमितीकरण का लाभ दे सकती है। ऐसे में जब स्कूलों में कंपनी के माध्यम से लगे आइटी शिक्षक आरएंडपी नियमों को पूरा करते हैं। इनमें 95 प्रतिशत शिक्षक एमएससी व एमसीए डिग्री धारक हैं। वर्तमान में कंपनी के माध्यम से 1453 कंप्यूटर शिक्षक 16 साल से स्कूलों में लगे है, जिनमें से 78 शिक्षकों की आयु 45 के पार हो गई है। ओवरएज होने के जिनके सामने अन्य कोई नौकरी का विकल्प भी नहीं है। इसलिए नीति बनना जरूरी हो गया है।