कैसे बनेंगी सड़कें, डीपीआर को नहीं मिल रहे कंसलटेंट
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गो की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गो की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के लिए कंसलटेंट यानी सलाहकार ही नहीं मिल रहे हैं। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं उच्चमार्ग मंत्रालय की ओर से जिन राष्ट्रीय राजमार्गो के लिए सैद्धातिक मंजूरी दी गई है, उनका काम अब तक कागजों से बाहर नहीं निकला है। नए घोषित राष्ट्रीय राजमार्गो में से एक की भी डीपीआर बनाने के लिए किसी भी कंसल्टेंट ने रुचि नहीं दिखाई है।
केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं उच्चमार्ग मंत्रालय से 5200 सलाहकार और 320 कंपनिया संबद्ध हैं। डीपीआर बनाने के लिए मंत्रालय से संबद्ध सलाहकार और कंपनिया ही अधिकृत हैं, लेकिन नए राष्ट्रीय राजमागरें की डीपीआर बनाने तक के लिए कोई सलाहकार व कंपनी आगे नहीं आ रही है। इसके लिए बार-बार टेंडर प्रकिया के दौर से गुजरना पड़ा रहा है, लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय को इस बारे में कोई चिंता नहीं है।
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राज्य सरकार ने कंसल्टेंट के लिए शर्ते की आसान हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक कंसल्टेट को सिर्फ एक डीपीआर बनाने का ठेका देने की शर्त को भी आसान कर दिया है, बावजूद इसके अभी सैंद्धातिकतौर पर प्रदेश के लिए केंद्र सरकार की ओर से घोषित किए गए राष्ट्रीय मार्ग के लिए डीपीआर बनने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इन राष्ट्रीय राजमागरें के लिए डीपीआर बनाने के लिए सलाहकार की कम संख्या को देखते हुए 49 सड़क परियोजनाओं की डीपीआर बनाने के लिए तीसरी बार टेंडर किए जा रहे हैं।
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केंद्र सरकार नहीं गंभीर : केशव नायक
कांग्रेस प्रवक्ता केशव नायक ने बताया कि केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए सैद्धांतिक तौर पर दो फोरलेन सहित 61 राष्ट्रीय राजमागरें को मंजूरी दी है। डीपीआर तैयार करने के लिए 229.30 करेाड़ स्वीकार किए हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं उच्च मार्ग मंत्रालय ने बीते साल 29 अक्टूबर 2016 में प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर 3800 करोड़ की अनुमानित लागत से बनने वाले राजमार्गो की डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था। इस प्रकिया को शुरू हुए अरसा बीत जाने के बाद भी केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं उच्चमार्ग मंत्रालय से संबद्ध किसी सलाहकार अथवा कंपनी का इन सड़क परियोजनाओं के लिए रुचि न लेना साफ जाहिर करता है कि केंद्र की सरकार इन सड़क परियोजनाओं को लेकर कोई गंभीर नहीं है।