प्रदेश सरकार ने केंद्र की योजनाएं खूंटे पर टांगी
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल सरकार केंद्र से कुछ भी न मिलने का रोना रोती है। जनता के समक्ष भी अकसर य
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल सरकार केंद्र से कुछ भी न मिलने का रोना रोती है। जनता के समक्ष भी अकसर यही दलीलें दी जाती हैं कि केंद्र सरकार से महज घोषणाएं होती हैं और असलियत में फूटी कौड़ी तक नहीं मिलती। वहीं, वीरवार को रिज मैदान पर हुई भाजपा की परिवर्तन रैली में प्रदेश सरकार की पोल खुल गई कि केंद्र से पैसा तो मुंह मांगा मिल रहा है मगर सरकार की काम करने की मंशा नहीं है।
केंद्र सरकार ने पिछले साल जून में प्रदेश को 63 राष्ट्रीय राजमार्ग देने की घोषणा की थी। करीब एक साल गुजरने वाला है लेकिन प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की स्वास्थ्य सेवाएं या संस्थान खोलने के लिए स्वीकृति दी गई मगर नतीजा शून्य है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए प्रदेश सरकार ने सही तरीके से प्रारूप नहीं भेजा। इस कारण केंद्र सरकार से सिंचाई योजनाओं को स्वीकृति नहीं मिल सकी। किसान खेतों को खाली रखना चाहें, उस सूरत में भी खेत फसल बीमा योजना के दायरे में आएंगे और किसानों को फसल बीमा योजना का मुआवजा मिलेगा। रिज पर मोदी रैली के बाद प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है। भाजपा नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस सरकार पर प्रहार किया है कि सत्ता में बैठे नेताओं ने आम आदमी को विकास से वंचित रखा है। केंद्र सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि विकास योजनाओं के लिए पैसा दिया जा रहा है जबकि प्रदेश सरकार की ओर से स्पष्ट किया जाता है कि केंद्र सरकार कोरी घोषणाएं करती हैं।
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जमीन नहीं दे पाई सरकार
केंद्र सरकार के करीब एक हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट जमीन न मिलने के कारण लटक गए हैं। कई परियोजनाओं में औपचारिकताएं पूरी नहीं की जा रही हैं। हमीरपुर में बनने वाले मेडिकल कॉलेज तथा शिमला व मंडी के लिए प्रस्तावित कैंसर अस्पतालों के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हुई। 45-45 करोड़ की लागत से कैंसर अस्पतालों का निर्माण होना है। आइजीएमसी में 150 करोड़ की लागत से प्रस्तावित सुपर स्पेश्येलिटी यूनिट के लिए जमीन नहीं है। शिमला शहर में पीलिया फैलने के बाद 10 करोड़ की लागत से माइक्रो बॉयोलाजी लैब बननी थी मगर अभी तक कुछ नहीं हुआ। प्रदेश के हर जिला में ट्रॉमा सेंटर बनने थे पर प्रदेश सरकार जमीन नहीं उपलब्ध करवा सकी।
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290 करोड़ मिलने पर भी डीपीआर नहीं
एक साल पहले केंद्र सरकार ने प्रदेश में सड़कों के विस्तार के लिए 60 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित होने वाले 63 राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए थे। सड़क निर्माण परियोजनाओं की डीपीआर बनाने के लिए केंद्र ने 290 करोड़ रुपये कंसलटेंट नियुक्त करने के लिए जारी किए लेकिन अभी तक सड़क निर्माण के लिए डीपीआर बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया है।
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किसानों के खेत सूखे
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत प्रदेश सरकार ने सिंचाई के लिए सही तरीके से डीपीआर नहीं बनाई। परिणामस्वरूप केंद्र से एक भी सिंचाई योजना की डीपीआर स्वीकृत नहीं हो सकी। इसी तरह का हाल प्रधानमंत्री कृषि फसल बीमा योजना का है। किसानों को पांच फीसद की जगह डेढ़ प्रतिशत भुगतान कर फसल का बीमा मिलना था लेकिन प्रदेश सरकार ने योजना को प्रचारित नहीं किया।