अब पंचायतों में वन भूमि पर निर्माण की अनुमति दिलाएंगे बीडीओ
राज्य ब्यूरो, शिमला : पंचायतों के विकास कार्यो में तेजी लाने के लिए सरकार ने वन भूमि पर अनुमति के लि
राज्य ब्यूरो, शिमला : पंचायतों के विकास कार्यो में तेजी लाने के लिए सरकार ने वन भूमि पर अनुमति के लिए बीडीओ यानी खंड विकास अधिकारियों को अधिकृत कर दिया है। इस अनुमति के साथ ही वन भूमि पर अनुमति न मिलने के कारण लटके लाखों विकास कार्यो के शुरू होने की उम्मीद जग गई है। एक हेक्टेयर तक की वन भूमि पर तरह-तरह के विकास कार्यो की अनुमति के लिए प्रदेश के सभी जिला उपायुक्तों को शक्तियां प्रदान कर दी गई हैं और उनकी अध्यक्षता में जिला समितियों को जिम्मा सौंपा गया है।
प्रदेश में निजी भूमि के अलावा जो भी खाली भूमि है वह वन भूमि है। ऐसे में सड़कों सहित स्कूल भवन, सामुदायिक केंद्रों आदि का निर्माण करने के लिए एफसीए यानी फॉरेस्ट क्लीयरेंस लेना जरूरी है। अभी तक प्रदेश में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी कि आखिर ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले सार्वजनिक कार्यो के लिए आवेदन कौन करेगी। ऐसे में प्रदेश में आवेदन ही नहीं हो रहे थे। इस समस्या को दूर करने के लिए अब फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट-1980 और फॉरेस्ट राइट एक्ट यानी वन अधिकार अधिनियम-2006 के तहत आवेदन के लिए खंड विकास अधिकारियों को एजेंसी बनाया गया है। केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों और सरकार द्वारा किए गए प्रावधानों के तहत सार्वजनिक और लोगों के हित के कार्यो के लिए एक हेक्टेयर तक के लिए अब केंद्र या राज्य वन समिति के पास अनुमति के लिए मामला नहीं जाता है।
ग्राम सभा से जाएगा मामला जिला कमेटी तक
वन भूमि पर स्कूल, सामुदायिक भवन व रास्तों आदि के निर्माण का मामला पंचायतों की ग्रामसभा से पारित होकर जिला कमेटी तक जाएगा। पंचायत स्तर पर गठित वन अधिकार समिति से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा और बीडीओ फॉरेस्ट क्लीयरेंस को एसडीएम की अध्यक्षता में गठित उपमंडलीय कमेटी को भेजेगा और उसके बाद जिला कमेटी के पास मामला जाएगा, जिसमें जिला उपायुक्तसहित डीएफओ आदि शामिल होंगे।
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वन भूमि पर 13 तरह के कार्यो के लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस को बीडीओ को एजेंसी बनाया गया है। जबकि एक हेक्टेयर तक अनुमति जिला उपायुक्त की अध्यक्षता वाली जिला कमेटी प्रदान करेगी।
- केवल शर्मा, संयुक्त निदेशक पंचायती राज विभाग।