पानी ही नहीं दे पाए तो और क्या दोगे
जागरण संवाददाता, शिमला : शिमला शहर स्मार्ट सिटी बने या न बने, लेकिन लोगों की सबसे अहम जरूरत पानी पर्
जागरण संवाददाता, शिमला : शिमला शहर स्मार्ट सिटी बने या न बने, लेकिन लोगों की सबसे अहम जरूरत पानी पर्याप्त उपलब्ध होना जरूरी है। हालांकि शहर में पेयजल संकट बना हुआ है। लोगों को प्यास बुझाने के लिए दुकानों से पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। नगर निगम का कार्यकाल जून में खत्म होने जा रहा है, लेकिन इस पांच वर्षो के कार्यकाल में ऐसा कोई भी दिन नहीं है, जब हर रोज पानी आया है। हालांकि पानी का बिल पूरा लिया जाता है। पार्षद भी सदन में पानी का मुद्दा उठाते रहते हैं, मगर पेयजल की सुचारू आपूर्ति नहीं हो पाई। अब दोबारा निगम के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में पानी सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा। शहर की जनता को पर्याप्त पानी मुहैया करवाने का सपना अमृत योजना और विश्व बैंक के प्रोजेक्ट के दम पर देख रही है। शिमला शहर को सबसे ज्यादा पानी कि आपूर्ति करने वाली अश्वनी खड्ड परियोजना आपूर्ति का लगभग एक चौथाई के पानी में भारी प्रदूषण के चलते नगर निगम ने पानी कि आपूर्ति पर रोक लगा दी है। इसके बाद शहर को पानी कि अत्यधिक कमी से जूझना पड़ रहा है। इसकी जगह कोटी बराडी से पानी कि आपूर्ति कि जा रही है, जो कुल क्षमता का मात्र 20 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। निगम इन परियोजनाओं के पूर्ण सुधार के लिए सभी पाइप लाइन को बदलने और नए पंप खरीदने नए टैंक के निर्माण के लिए 100 करोड़ से ज्यादा राशी खर्च कर रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम अभी व्यापक स्तर पर नहीं आए हैं। इस कार्य के लिए निगम के इंजीनियर और अधिकारियो को गिरी परियोजना स्थल पर रह कर कार्य करने को कहा गया है। परियोजना में पाइप बदलने के कार्य में लगभग सात माह का वक्त लग गया है। इस दौरान 2000 मीटर पाइप को बदला गया है। इसके साथ ही नगर निगम इस तथ्य को भी उजागर करना चाहता है कि इस परियोजना से 2008 में पानी मिलना शुरू हो गया था और परियोजना के शुरू होने से ही इससे पानी की पूरी आपूर्ति नहीं हो सकी है। अश्वनी परियोजना से पानी कि आपूर्ति रोक देने के बाद विभाग को गिरी के सुधार के लिए पैसा ट्रांसफर किया गया और कार्य शुरू कर किया गया था। शहर को वर्तमान में 45.50 एमएलडी पानी की रोजाना जरूरत है, जबकि अभी सिर्फ 35 एमएलडी तक ही पानी कि आपूर्ति हो पा रही है।
शिमला नगर निगम इस बात से पूरी तरह वाकिफ है। इसके लिए विश्व बैंक के सहयोग से सुन्नी से पानी की आपूर्ति की योजना पर कार्य चल रहा है, जिससे इस समस्या का पूरी तरह हल संभव हो सकेगा। इस परियोजना को लेकर शीघ्र ही एमओयू पर हस्ताक्षर कर इस परियोजना को अमलीजामा पहनाया जा रहा है।