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सरकार के नाम होगी जमीन, तभी बनेगा रास्ता

राज्य ब्यूरो, शिमला : ग्रामीण क्षेत्रों में रास्ता निकालना है तो जमीन सरकार के नाम पर करनी होगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 01:00 AM (IST)
सरकार के नाम होगी जमीन, तभी बनेगा रास्ता
सरकार के नाम होगी जमीन, तभी बनेगा रास्ता

राज्य ब्यूरो, शिमला : ग्रामीण क्षेत्रों में रास्ता निकालना है तो जमीन सरकार के नाम पर करनी होगी। सड़क निर्माण भी तभी होगा, जब जमीन सरकार के नाम पर चढ़ाई जाएगी। इस साल 13 जनवरी को पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि गांव में कहीं पर भी रास्ता निकालने के लिए शपथ पत्र देने से काम नहीं चलेगा। किसान को जमीन पंचायती राज विभाग के नाम पर करनी होगी। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक विक्रम सिंह द्वारा पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि जमीन रजिस्ट्री करने के मामले में सरकार विचार कर सकती है। विक्रम सिंह ने चिंता जाहिर की कि उनके अपने विधानसभा क्षेत्र में 273 योजनाएं अधर में लटक गई हैं। कारण यह है कि बीडीओ पहले जमीन महकमे के नाम पर करने की शर्त रखते हैं। विधायक विकास निधि के तहत जारी होने वाला बजट खर्च नहीं हो रहा।

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जसवा-परागपुर विधानसभा क्षेत्र से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि यह क्षेत्र उन हलकों में शामिल है, जहा अधिकाश कार्य पूरे किए जा चुके हैं। जो अधूरे हैं वे भी जल्द पूरे कर लिए जाएंगे। वीरभद्र सिंह ने कहा कि तीन वर्ष में जसवा-परागपुर में विधायक विकास निधि के तहत स्वीकृत 12 करोड 17 लाख की धनराशि में से 1 करोड़ 42 लाख रुपये विभिन्न योजनाओं के तहत व्यय किए जा चुके हैं। जसवा-परागपुर हलके में कुल 239 स्वीकृत कार्य योजनाओं में से 165 योजनाओं का कार्य आरंभ किया जा चुका है, जिनमें से 108 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं तथा 57 कार्य प्रगति पर हैं। 74 योजनाओ का कार्य अभी आरंभ नहीं किया जा सका है।

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जमीन क्यों की जाए नाम

पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग में ग्रामीण क्षेत्रों में रास्तों, सड़कों के निर्माण के लिए विधायक पैसा देते हैं, लेकिन प्रदेश के कई स्थानों पर शातिर पंचायत प्रतिनिधि पहले अपनी जमीन पर निर्माण करवाते थे और फिर इन विभागों के खिलाफ मामला दायर करते रहे हैं। पहले शपथ पत्र लिया जाता था। उसके बाद सड़क व रास्तों का निर्माण होता था, लेकिन अब शपथ पत्र से काम नहीं चलने वाला।


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