हिचकोले लगे तो समझो पहुंचे शिमला
जागरण संवाददाता, शिमला : पहाड़ों की रानी शिमला को हम प्रदेश की राजधानी कहें या फिर एक गांव। यहां की स
जागरण संवाददाता, शिमला : पहाड़ों की रानी शिमला को हम प्रदेश की राजधानी कहें या फिर एक गांव। यहां की सड़कें देखकर शिमला राजधानी कहने लायक नहीं है। शिमला के उपनगरों की सड़कों पर पड़े गड्ढों के कारण लोगों व वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
विधायक व जिला प्रशासन ने भी कभी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। सड़कों पर तीन से चार फुट गड्ढे पड़े हुए हैं। राजधानी शिमला के प्रवेश द्वार ढली से लेकर समरहिल, शिमला से शोघी की सड़कों के किनारे आम जनता चल नहीं सकती है। सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे पड़े हुए हैं। इन गड्ढों में पानी एकत्रित रहने से यहां से गुजरने वाले लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्कूली बच्चे व आम आदमी को नए वस्त्र पहनने से पहले सौ बार सोचना पड़ेगा। गाड़ियों की रफ्तार व बरसात से जंग लड़ रही शिमला की जनता काफी परेशान है। संजौली-लक्कड़ बाजार सड़क की बात करें तो इसकी हालत इतनी खराब है कि सड़क पर टारिंग का नामोनिशान नहीं है। जगह-जगह गड्ढों में तबदील सड़क लोगों के लिए मुसीबत बन चुकी है। पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाली सड़कों की बदतर हालत होने पर हिल्स क्वीन के सुंदरीकरण को दाग लग रहा है। कुफरी, फागू व हाटू जैसे पर्यटन स्थलों को यही सड़क जोड़ती हैं। इसकी हालत खराब होने से पर्यटकों को भी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
दुर्घटना का भी सता रहा डर
राजधानी शिमला व साथ लगते क्षेत्रों में सड़कों की हालत खस्ता होने के कारण वाहन चालकों को हर समय हादसे का डर सताता रहता है। बावजूद इसके भी कहीं न कहीं गड्ढे में गाड़ी चले जाने पर वाहन को नुकसान पहुंचता है। इतना ही नहीं सड़कों की हालत इतनी खराब है कि इन सड़कों पर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन प्रशासन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
बर्फबारी में उखड़ी सड़कें
शिमला में बर्फबारी के दौरान जेसीबी से बर्फ साफ करने के कारण सारी सड़कें उखड़ गई हैं। कई सड़कों की हालत तो इतनी दयनीय हो चुकी है कि सड़कों को देखकर लगता नहीं है कि सड़कों पर कभी टारिंग भी हुई हारे। लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी सड़कों पर मिट्टी डाल कर गड्ढों को भर रहे हैं। एक की बारिश से मिट्टी बह जाती है और फिर से सड़कों की हालत खस्ता हो जाती है।