395 सड़कों के प्रस्ताव में से 151 को मंजूरी
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश के गांवों को सड़कों से जोड़ने की राह में वन संरक्षण अधिनियम बाधा बन चुका
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश के गांवों को सड़कों से जोड़ने की राह में वन संरक्षण अधिनियम बाधा बन चुका है। जिस जमीन पर पेड़ नहीं है वहां से सड़क नहीं निकाली जा सकती है। केंद्र सरकार की सख्ती से दूरदराज क्षेत्रों में सड़कें निकालने का काम अधर में है। राज्य स्तर की सड़कों के अलावा राष्ट्रीय राजमार्गो के मामले में भी अड़चनें पैदा हो रही हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इस बीच प्रदेश सरकार ने घोषित 59 नेशनल हाइवे के मामले में निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके बाद केंद्र सरकार की इजाजत मिलते ही प्रदेश में नेशनल हाइवे निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। प्रदेश सरकार की तरफ से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजे प्रस्तावों में से केंद्र ने प्रदेश की डेढ़ सौ लंबित सड़कों के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की है और इससे सड़क निर्माण में तेजी आएगी। शीघ्र ऐसी सड़कें बनने से लोगों के जीवन में बदलाव होगा। सरकार ने 151 सड़कों को वन स्वीकृति प्रदान की है। इनमें से 131 सड़कें ऐसी हैं, जिनका क्षेत्र एक हेक्टेयर से कम है। प्रदेश सरकार ने वन कानून के दायरे से सड़कों को बाहर करने के 395 प्रस्ताव भेजे हैं। ऐसे सभी प्रस्तावित सड़कों की तमाम औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। सड़कों के इन प्रस्तावों को केंद्र सरकार से कब मंजूरी मिलती है यह देखना होगा। सरकार सभी राष्ट्रीय राजमार्ग की डीपीआर तैयार करने के दावे करती है और इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है। सभी सड़क परियोजनाओं की विस्तृत प्रस्ताव रपट तैयार होने के बाद प्रस्ताव केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय को स्वीकृति के लिए जाएंगे। केंद्र सरकार हर नेशनल हाइवे के लिए बजट निर्धारित करेगी। केंद्र सरकार ने प्रदेश को पांच दर्जन राष्ट्रीय राज मार्ग जून 2016 में घोषित किए थे। सभी सड़कों की डीपीआर बनाने के लिए केंद्र ने कंसलटेंट नियुक्त करने के लिए 229 करोड़ रुपये का बजट प्रदेश सरकार को दिया था। केंद्र सरकार एक बार पहले राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण की औपचारिकताओं में मौजूद खामियों को देखते हुए निविदा प्रक्रिया को रद कर चुकी है।
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'यह सही है कि केंद्र सरकार ने खाली जमीन को भी वन कानून के दायरे में ले रखा है। वहां पर किसी प्रकार की वनस्पति नहीं है। प्रदेश सरकार ने केंद्र की तरफ से सड़क निर्माण के लिए उठाए जा रहे सभी सवालों का जवाब दिया है। उसके बाद प्रदेश में 151 सड़कों का निर्माण संभव होगा।'
- एके कोहली, इंजीनियर इन चीफ लोक निर्माण विभाग।
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'ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों का निर्माण छोटी-छोटी बातों के कारण लटक जाता है। जहां तक राष्ट्रीय राजमार्गो का सवाल है तो विस्तृत योजना रिपोर्ट जल्दी-जल्दी बनाना संभव नहीं है। अब लोक निर्माण विभाग ने सभी राष्ट्रीय राजमार्गो की डीपीआर बनाने का काम शुरू कर दिया है।'
- नरेंद्र चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग।