बच्चों की संख्या का ब्योरा लिए बिना ही भेजे थे प्रश्नपत्र
राज्य ब्यूरो, शिमला : सर्वशिक्षा अभियान ने स्कूलों से विद्यार्थियों की संख्या का डाटा लिए बिना ही इस
राज्य ब्यूरो, शिमला : सर्वशिक्षा अभियान ने स्कूलों से विद्यार्थियों की संख्या का डाटा लिए बिना ही इस बार प्रश्नपत्र भेज दिए। बीते साल की एनरोलमेंट के अनुसारही विद्यार्थियों की संख्या का अनुमान लगाया गया जो कि सही नहीं बैठा और नतीजतन कहीं विद्यार्थियों की संख्या से ज्यादा तो कहीं कम प्रश्नपत्र पहुंचे।
केवल सर्वशिक्षा अभियान की ओर से भेजे गए प्रश्नपत्र ही नहीं बल्कि बोर्ड की ओर से भी ये खामियां हुई हैं। ऐसे में जब इस बार प्रश्नपत्रों की छपाई पिछले साल की संख्या को ध्यान में रखकर ही कर दी गई है। इसका ही नतीजा है कि सोलन जिला सहित शिमला के ठियोग जैसे स्कूलों में शिक्षकों को प्रश्नपत्र फोटोस्टेट करवाने पड़े। इससे परीक्षा प्रणाली की गोपनीयता पर भी सवालिया निशान लग गए हैं। पहली से चौथी व छठी कक्षा के लिए प्रश्नपत्र की छपाई करवाकर डाईट के माध्यम से शीतकालीन स्कूलों में प्रश्नपत्र पहुंचाए गए हैं। पांचवीं, आठवीं व नौवीं के प्रश्नपत्र बोर्ड ने भेजे हैं। शिक्षकों का कहना है कि हर साल विभाग स्कूल के बच्चों का कक्षावार डाटा मांगता है पर इस बार नहीं लिया गया। आलम यह है कि परीक्षा के पहले दिन ही नहीं बल्कि दूसरे दिन भी प्रश्नपत्र कम पड़ गए और शिक्षकों को फोटोस्टेट करवाकर काम चलाना पड़ा। सर्वशिक्षा अभियान ने शीतकालीन स्कूलों में होने वाली परीक्षा के लिए 26,502 प्रश्नपत्र छपवाए हैं जबकि पांचवीं व आठवीं कक्षा के प्रश्नपत्र बोर्ड की ओर से भेजे गए हैं।
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ऐसे होगा मूल्यांकन
पहली से चौथी, छठी व सातवीं कक्षा की परीक्षा सर्वशिक्षा अभियान करवा रहा है। परीक्षा पेपर छपवाने से लेकर मूल्यांकन की जिम्मेदारी एसएसए की है। पहली से पांचवीं के पेपर सीएचटी यानी सेंट्रल हेड टीचर की अध्यक्षता में कलस्टर स्तर पर ही चेक होंगे। जिस स्कूल के बच्चों के पेपर हैं, उस पाठशाला के शिक्षक उस कलस्टर में पेपर चेकिंग नहीं कर सकते हैं। छठी से आठवीं कक्षा के पेपर का मूल्यांकन हेडमास्टर या प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में करना अनिवार्य होगा। शिक्षक अपने स्कूलों के बच्चों के पेपर चेक नहीं कर पाएंगे।
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शीतकालीन स्कूल
प्राइमरी- 3842
अपर प्राइमरी - 1614
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'डाटा पूरा लिया गया है। कुछ प्रतिशत ऊपर-नीचे हुआ है तो प्रश्नपत्र फोटोस्टेट करवाने का विकल्प शिक्षकों को दिया गया है। इसमें दिक्कत वाली बात नहीं है। प्रश्नपत्रों की दस व बीस के सेट में पैकिंग होती है। इस कारण बच्चों की संख्या से प्रश्नपत्र मेल नहीं खाते।'
- घनश्याम चंद, राज्य परियोजना निदेशक, सर्व शिक्षा अभियान।