अब देशभर में मान्य होगा दिव्यांग प्रमाणपत्र
राज्य ब्यूरो, शिमला : सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए अब दिव्यांगों को राज्य की सीमाएं बाधा नहीं बने
राज्य ब्यूरो, शिमला : सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए अब दिव्यांगों को राज्य की सीमाएं बाधा नहीं बनेंगी। हिमाचल से बाहर जाना हो या फिर अन्य राज्य से किसी दिव्यांग ने हिमाचल में प्रवेश करना हो उसका प्रमाणपत्र मान्य होगा। मुख्य आयुक्त दिव्यांगजन डॉ. कमलेश कुमार पांडेय ने बताया कि दिव्यांगों के प्रमाणपत्र को सर्वमान्य करने के लिए यूडीआइडी बनाने का कार्य आरंभ हो चुका है, जिसकी मान्यता सर्वत्र होगी। यह सुविधा पहले चरण में देश के 14 राज्यों में शुरू की जा रही है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार पहली बार प्री-मैट्रिक को 46 हजार, मैट्रिक को 30 हजार, शोध छात्रों को 200, विदेश पढ़ने वाले 12 छात्रों के लिए छात्रवृत्ति आरंभ की है। रोजगार के लिए चार प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मुख्य आयुक्त कार्यालय को स्थापना काल 1948 से लेकर इस साल 31 अगस्त तक 35 हजार शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 31507 का निपटारा हो चुका है। मुख्य आयुक्त कार्यालय में सात महीने में ई-मेल के माध्यम से 1189 शिकायतें प्राप्त हुई है। सभी दिव्यांगों को न्याय सुलभ हो, इसके लिए मुख्य आयुक्त द्वारा सचल न्यायालय (मोबाइल कोर्ट) की प्रक्रिया शुरू की गई है। अब तक 33 सचल न्यायालय 18 राज्यों के सुदूर अंचलों में लगाए गए है। इनमें हिमाचल प्रदेश फिलहाल शामिल नहीं है। निशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 के क्रियान्वयन हेतु मुख्य आयुक्त द्वारा राज्य आयुक्तों एवं राज्य सरकार के अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की जाती है। चालू वित्त वर्ष के दौरान मुख्य आयुक्त द्वारा बिहार, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर में समीक्षा बैठ की गई। अभी असम के बोंगईगांव व मुबंई पुणे व नासिक में केंद्र सरकार द्वारा एडिप डीडीआरसी के अंतर्गत संवितरित निधियों के उपयोग की मॉनिटरिंग की गई। मुख्य आयुक्त ने बताया कि 22 माह में दिव्यांगों के यंत्र वितरण के 1850 कैंप लगाए गए जिसमें 230 करोड़ रुपये की लागत के पांच लाख दिव्यांगों को यंत्र वितरित किए गए। कानपुर में स्थापित कृत्रिम अंग निर्माण कंपनी के आधुनिकीकरण हेतु जर्मनी के सहयोग से कार्य आरंभ हुआ है, इसके लिए सरकार ने 238 करोड़ रूपये की राशि आबंटित की है।
सुगम्य भारत अभियान के अंतर्गत केंद्र सरकार ने भारतवर्ष के पचास शहरों को चुना है जिसमें प्रत्येक शहर के सौ भवनों को सुगम्य बनाया जाएगा। कौशल विकास केअंतर्गत 2018 तक पांच लाख और 2022 तक 25 लाख दिव्यांगों का कौशल विकास होगा, अभी तक 44 हजार को कौशल विकास हो चुका है।