नगर निगम बर्खास्तगी की पटकथा तैयार
युग के बाद सबहेड : शिमला नगर निगम की लापरवाहियों पर सरकार सख्त -आने वाले समय में बदले जा सकते
युग के बाद
सबहेड : शिमला नगर निगम की लापरवाहियों पर सरकार सख्त
-आने वाले समय में बदले जा सकते हैं आयुक्त समेत बड़े अफसर
-पीलिया के समय से साबित होती आई है लापरवाही
राज्य ब्यूरो, शिमला : यह लगभग साफ होता नजर आ रहा है कि शिमला नगर निगम को बर्खास्त किया जाएगा। इसकी तैयारी पुख्ता आधार के साथ शुरू हो गई है। हालांकि नगर निगम एक लोकतांत्रिक एवं स्वायत्त संस्था है लेकिन आधार ऐसे प्रावधान का है जिसमें अपने दायित्व के निवर्हन में नाकाम रहने पर सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। आने वाले समय में अगर आयुक्त को भी बदल दिया जाए तो हैरानी वाली बात नहीं होगी।
चार वर्षीय बालक युग के अपहरण और फिर हत्या के बाद प्रदेश की राजधानी का पारा अभी ठंडा नहीं हुआ है। विधानसभा तक में यह सरोकार उठ चुका है। उधर, हाईकोर्ट भी मामले का संज्ञान ले चुका है।
युग हत्याकांड का पता चलने के बाद विधानसभा में कांग्रेस व भाजपा विधायकों के निशाने पर नगर निगम है। पुख्ता सूत्रों के अनुसार, इस मामले में औपचारिकताएं पूरी करने के लिए शहरी विकास विभाग ने काम शुरू कर दिया है। नगर निगम की असफलताओं की रिपोर्ट तैयार करने का काम शुरू हो गया है। रिपोर्ट तैयार होने के बाद उचित टिप्पणियों के साथ सरकार को भेजी जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि नगर निगम को बर्खास्त करने का सरकार ने मन बना लिया है। नगर निगम हर मोर्चे पर विफल रहा है। विधानसभा में शहरी विकास विभाग के मंत्री सुधीर शर्मा ने स्वीकार किया कि युग मामले में टैंक की सफाई गंभीर मामला था। ऐसे में नगर निगम को बर्खास्त करना विचाराधीन है। ऐसी उम्मीद है कि एक सप्ताह के भीतर सरकार नगर निगम को बर्खास्त कर सकती है। शिमला शहर का जो सुंदरीकरण हो रहा है, उसे एशियन डवलपमेंट बैंक के सहयोग से पर्यटन विभाग करवा रहा है।
उड़ान पर मेयर-डिप्टी मेयर
निगम की सत्ता पर काबिज होते ही मेयर संजय चौहान व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर विदेशी दौरों तक सीमित होकर रह गए हैं। एक दर्जन से अधिक देशों के दौरे दोनों कर चुके हैं। शहर में कम, विदेशों में अधिक रहते हैं और विभाग से अफसरों समेत विदेश दौरे की मंजूरी की ताक में रहते हैं। पता चला है कि जब यह कहा गया कि लिख कर दौरे की जरूरत बताई जाए तो ऐसा नहीं किया गया। कुछ अधिकारी विदेश दौरे पर गए और कुछ नहीं गए।
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ये है नगर निगम की नाकामियों की फेहरिस्त.
- पीने के पानी की लाइन में सीवरेज मिलता रहा। प्रशासन को खबर नहीं थी, परिणामस्वरूप शहर में पीलिया फैला।
- ग्रीन टैक्स लगाने की गलत व्यवस्था की गई थी।
- गृहकर में निगम को लाखों रुपये का घाटा ।
- शहर के विभिन्न भागों में विकास कार्य लंबे समय से ठप।
- सैहब सोसायटी के कर्मचारियों का आंदोलन।
- ई-गवर्नेंस प्रोजेक्ट कार्यान्वित नहीं हो पाया।
- कूड़ा संयंत्र भरयाल का संचालन नहीं हो सका।
- शहर में पार्किंग व्यवस्था उपलब्ध नहीं करवाई।
- अमरुत योजना समय पर धरातल पर नहीं उतर पाई।
- नक्शों की अनापत्तियां समय पर नहीं दी गई।