दुष्कर्म मामले में नाबालिग बच्ची को ताउम्र प्रतिमाह दें दस हजार
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म मामले में प्रदेश सरकार को आदेश
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म मामले में प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह पीड़िता को उम्रभर प्रतिमाह 10 हजार रुपये व जन्मे बच्चे को ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा प्रदान करे। यह मुआवजा राशि स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के माध्यम से दी जाएगी। न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने दोषी रमेश कुमार की अपील को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किए। कोर्ट ने दोषी को निचली अदालत से सुनाई गई 10 साल के कठोर कारावास की सजा को भी उचित ठहराया।
मामले के अनुसार वर्ष 2012 को 14 वर्षीय बच्ची जब घर पर नहा रही थी तो दोषी ने जबरन घर में घुसकर दुष्कर्म किया था। घर में उस समय पीड़िता व उसकी छोटी बहन ही थी। डर के कारण पीड़िता ने परिजनों को बात नहीं बताई, लेकिन पेटदर्द की शिकायत होने पर उसकी मां ने उसे सुंदरनगर अस्पताल में दिखाया तो वहां उसे 24 सप्ताह की गर्भवती बताया।
गर्भपात करवाने के इरादे से परिजन उसे सितंबर 2012 को शिमला के कमला नेहरू अस्पताल ले गए। केएनएच के डॉक्टर ने मामले की रिपोर्ट पुलिस को दी। बाद में पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका डीएनए दोषी से मेल खाता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मंडी के समक्ष मामला चला और 2 जनवरी 2016 को 24 गवाहों के बयानों के आधार पर दोषी को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। दोषी ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए पीडिता को मुआवजा राशि देने का आदेश दिया।